Maximum age a person can live: इंसान अधिकतम कितने साल तक जीवित रह सकता है. वैज्ञानिकों ने इस विषय पर शोध के बाद कई खुलासे किए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान का अपनी अधिकतम आयु तक जीना अभी बाकी है. ऐसा वक्त आएगा कि उम्र के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. इस शोध के लिए एआई का सहारा लिया गया है.
नया शोध यह पता लगाने के लिए किया गया कि किसी व्यक्ति की अधिकतम आयु कितनी हो सकती है (how long a human can possibly live), इससे पहले कि उसका शरीर जीवित रहने के लायक ही न रहे. वहीं इंसान की अधिकतम उम्र को प्रभावित करने वाला कारक क्या है.
शरीर बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने में बहुत सक्षम है, लेकिन एक बिंदु ऐसा भी है जहां इसे बनाए रखना संभव नहीं है. विज्ञान ने पाया कि 120 से 150 साल की उम्र के बीच, यह क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है. मतलब अगर शरीर बीमार पड़ गया तो बचने की कोई संभावना नहीं रहेगी.
जीन कैलमेंट एक फ्रांसीसी महिला थीं जिनकी 1997 में मृत्यु के समय वह 122 वर्ष की थीं. इस सिद्धांत में, विज्ञान सुझाव देता है कि इसी कारण से उनकी मृत्यु हुई होगी.
वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि इंसानों के जीने की अधिकतम उम्र 2100 तक फिर से टूट सकती है, क्योंकि दवाओं और स्वास्थ्य देखभाल में वृद्धि जारी है, साथ ही साथ स्वस्थ जीवन शैली की समझ भी बढ़ रही है.
वर्तमान में ऐसी दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है जो मनुष्यों की आयु 200 वर्ष तक बढ़ा सकती हैं. लेकिन चेतावनी दी गई है कि इसमें बहुत समय लगेगा और यह वर्षों तक उपलब्ध नहीं होगा – या सिद्ध नहीं होगा.
वर्तमान में, टोमिको इटूका (Tomiko Itooka) सबसे उम्रदराज जीवित व्यक्ति हैं. वह वर्तमान में जापान में रहती हैं और 116 वर्ष की हैं. उसका जन्म 23 मई 1908 को हुआ था. वैज्ञानिकों ने कहा है कि जीवनकाल (lifespans) हमारे पूर्वजों की तुलना में बहुत लंबा है.
द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का कहना है कि पुरुषों के लिए औसत जीवन प्रत्याशा 74.8 वर्ष और महिलाओं के लिए 80.2 वर्ष है. जबकि आहार और व्यायाम जैसे बाहरी कारक जीवनकाल को प्रभावित करते हैं.
सिंगापुर बायोटेक कंपनी गेरो और बफेलो, न्यूयॉर्क स्थित रोसवेल पार्क कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं ने यह शोध किया है. उन्होंने शरीर की फिर से स्वस्थ्य होने और बीमारियों से लड़ने की क्षमता और मानव लचीलेपन का अध्ययन किया.उन्होंने उम्र, बीमारी और जीवनशैली कारकों सहित कई कारकों पर ध्यान दिया.