जानें क्या है सुपरमैसिव ब्लैक होल….
Richa Srivastava October 28, 2024 10:27 PM

Science News: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) को दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया था इसकी पहली तस्वीर 11 जुलाई, 2022 को जारी की गई तब से अब तक, लगभग तीन वर्ष में इसने ब्रह्मांड के कई रहस्यों से पर्दा उठाने में वैज्ञानिकों की सहायता की है यह ब्रह्मांड में बहुत दूर तक देख सकता है JWST की इसी क्षमता का इस्तेमाल करते हुए, एस्ट्रोनॉमर्स ने 13 बिलियन वर्ष पहले झांककर देखा है उन्होंने प्रारंभिक ब्रह्मांड में सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलने वाले ऐसे क्वासर का पता लगाया है, जो अकेले हैं

सुपरमैसिव ब्लैक होल और क्वासर क्या होते हैं?

आगे की कहानी जानने से पहले यह जान लीजिए कि सुपरमैसिव ब्लैक होल और क्वासर आखिर क्या चीज हैं सुपरमैसिव ब्लैक होल, ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे बड़े ब्लैक होल हैं सूर्य से एक लाख गुना या उससे अधिक द्रव्यमान वाले ब्लैक होल, सुपरमैसिव ब्लैक होल कहलाते हैं माना जाता है कि सभी बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल होते हैं

दूसरी तरफ क्वासर, ब्रह्मांड की सबसे चमकदार वस्तुओं में से हैं ये आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं और सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलते हैं जब गैस और धूल बहुत तेज रफ्तार से सुपरमैसिव ब्लैक होल में गिरती है, तो क्वासर बनते हैं

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने क्या खोजा?

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने जो कुछ देखा, वह वैज्ञानिकों को दंग कर रहा है प्रारंभिक ब्रह्मांड में अलग-थलग पड़े सुपरमैसिव ब्लैक होल आखिर कैसे हो सकते हैं? क्योंकि ब्लैक होल को सुपरमैसिव स्थिति तक पहुंचने के लिए पर्याप्त द्रव्यमान इकट्ठा करने में काफी समय लगना चाहिए, वैज्ञानिक अनुमानों के हिसाब से करीब एक बिलियन साल

JWST ने बिग बैंग के कुछ सौ मिलियन वर्ष बाद ही सुपरमैसिव ब्लैक होल से चलने वाले क्वासर खोजे हैं यह खोज इस पहेली को और उलझा देती है कि जब ब्रह्मांड एक अरब वर्ष से भी कम पुराना था, तब कुछ ब्लैक होल लाखों या अरबों सूर्यों के बराबर द्रव्यमान तक कैसे बढ़ गए?

आखिर इतने बड़े कैसे हो गए ये क्वासर?

ये प्रश्न वैज्ञानिकों की उस टीम ने उठाया है, जिसने JWST की सहायता से ज्ञात पांच क्वासरों पर स्टडी की इनका निर्माण उस समय हुआ था जब ब्रह्मांड 600 से 700 मिलियन साल पुराना था टीम ने पाया कि इन क्वासर के चारों तरफ का क्षेत्र काफी अलग था कुछ के आसपास का क्षेत्र बहुत घटना था, जैसा वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं हालांकि, कुछ क्वासर बिल्कुल अलग-थलग पड़े थे और उनके इर्द-गिर्द स्वयं को बड़ा करने के लिए कोई पदार्थ नहीं था

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मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में फिजिक्स की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्ना-क्रिस्टीना एइलर्स ने एक बयान में कहा, ‘यह समझाना कठिन है कि ये क्वासर इतने बड़े कैसे हो गए, जबकि ऐसा लगता है कि उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था‘ एइलर्स और उनकी टीम के नतीजे 17 अक्टूबर को The Astrophysical Journal में छपे हैं

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