झारखंड विधानसभा चुनाव में मुसलमान का मुद्दा गरमाया…
Garima Singh October 28, 2024 10:28 PM

रांची झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रचार जैसे-जैसे बल पकड़ रहा है, मुस्लिम का मुदा भी गरमाने लगा है बीजेपी के तमाम बड़े नेता लगातार किसी न किसी बहाने इस मामले को उछाल रहे हैं ताजा बयान राज्य के गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे का है दुबे का बोलना है कि झारखण्ड की मुसलमान जनसंख्या में से 11 फीसदी “बांग्लादेशी घुसपैठिये” हैं दुबे ने एक साक्षात्कार में कहा, “1951 में मुसलमानों की जनसंख्या नौ फीसदी थी, आज 24 फीसदी है राष्ट्र में मुसलमान जनसंख्या चार प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन हमारे संथाल परगना में 15 फीसदी बढ़ी है ये 11 फीसदी बांग्लादेशी घुसपैठिये हैं और झारखण्ड की गवर्नमेंट उन्हें अपनाए हुए है

झारखंड में जब चुनावी माहौल बल पकड़ ही रहा था, तभी पीएम नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के जमशेदपुर में भाजपा की बदलाव रैली में मुसलमान घुसपैठ का मामला उठाया था सितम्बर के मध्य में उन्होंने बोला था कि रोहिंग्या मुस्लिमों और बांग्लादेशियों की घुसपैठ संथाल परगना और कोल्हान के लिए वास्तविक खतरा बन कर उभर रहा है! उन्होंने सत्ताधारी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस पार्टी और राजद पर इस खतरे पर वोट बैंक की खातिर खामोशी साधने का इल्जाम भी लगाया था पीएम ने लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रचार में यह मामला उठाया था बीजेपी ने तभी से इस मामले को ठंडा नहीं पड़ने दिया है जुलाई में अमित शाह ने भी एक बयान देकर मामले को जिन्दा रखा

जनजातीय जनसंख्या करीब 16 प्रतिशत हुई कम
भाजपा न सिर्फ़ मौखिक, बल्कि लिखित रूप से भी इस मामले को हवा दे रही है जुलाई में झारखण्ड बीजेपी अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने सीएम को चिट्ठी लिख कर इस मामले को उठाया इसमें उन्होंने आंकड़े देते हुए दावा किया कि वर्ष 2031 तक संथाल परगना में मुसलमान बहुसंख्यक हो जायेंगे हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि जनसंख्या से जुड़ा उनका ताजा आंकड़ा और 2031 के लिए लगाये गए अनुमान का आधार क्या है? उधर, सितम्बर में पीएम के फिर से बयान देने के कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय गृह मंत्रालय और UIDAI की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया गया था, जिसमें बोला गया था कि राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में घुसपैठ बढ़ी है इसमें दावा किया गया था कि राज्य में जनजातीय जनसंख्या करीब 16 प्रतिशत कम हुई है

प्रधानमंत्री के बयान के बाद शिवराज सिंह चौहान, हिमंता बिस्वा सरमा सहित कई बीजेपी नेताओं ने यह मामला उठाया और बोला कि राज्य में बीजेपी की गवर्नमेंट बनी तो एनआरसी लागू होगा झारखण्ड बने 24 वर्ष हुए हैं इनमें से 13 वर्ष बीजेपी का ही राज रहा है लेकिन उसकी कठिन यह है कि आदिवासी वोट उससे छिटक रहा है माना जाता है कि इस स्थिति से निपटने के लिए वह मुसलमान कार्ड खेल रही है

आरक्षित सीटों पर “जीरो सक्सेस”
बीजेपी की वास्तविक चुनौती अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 28 सीटों पर है इन क्षेत्रों में राज्य के 28% मतदाता हैं. 2019 के चुनाव में भाजपा को इन 28 सीटों में से सिर्फ़ दो पर जीत मिली थी उसके सत्ता से बाहर रहने का यह प्रमुख कारण बना था 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को सभी पांच आरक्षित सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. जुलाई 2023 में एक आदिवासी (बाबू लाल मरांडी) को राज्य भाजपा का अध्यक्ष बनाने के बावजूद आदिवासी मतदाता उसके पाले में नहीं आए इसलिए बीजेपी ने मुसलमान घुसपैठ को मामला बना कर एक तीर से दो शिकार करने की प्रयास की है एक तो वह राज्य के मूल मुसलमान निवासियों को निशाना नहीं बना रही है दूसरा, ऐसा कह कर कि मुसलमान घुसपैठिये आदिवासियों की जमीन और स्त्रियों को निशाना बना रहे हैं, आदिवासियों के भलाई की बात करने का संदेश दे रही है

 

उत्साह के साथ बढ़ी चुनौती
लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से बीजेपी का उत्साह बढ़ा हुआ है लोकसभा चुनाव में उसे करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी इस बढ़त को विधानसभा चुनाव में कायम रखना चुनौती होगी इस चुनौती को आसान बनाने के लिए आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में करना महत्वपूर्ण होगा

कोल्हान में किसी का साथ नहीं
कोल्हान क्षेत्र में 2019 में भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया था उसे 14 में से एक भी सीट नहीं मिली थी तीन पूर्व आदिवासी मुख्यमंत्रियों—चंपाई सोरेन, अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा—का साथ इस बार कोल्हान में उसे कितना लाभ दिला पाएगी, यह भी निश्चित नहीं है

 

संथाल में भी बुरा हाल
संथाल परगना में भी भाजपा के लिए चुनौती है. यहाँ की 18 सीटों में से जेएमएम ने 9 और कांग्रेस पार्टी ने 4 सीटें 2019 में जीती थीं इस जीत के पीछे आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय का मजबूत समर्थन था. इस गठजोड़ को तोड़ने के लिए भाजपा ‘रोटी, बेटी और माटी’ का नारा दे रही है, जिसमें “बांग्लादेशी घुसपैठियों” (यानी मुसलमान समुदाय) पर उनकी बेटियों से विवाह करने और उनकी जमीन और नौकरियां हथियाने का इल्जाम लगाया जा रहा है. संथाल परगना में दुमका, जामताड़ा, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़ और देवघर के कुछ हिस्से शामिल हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या में 68% हिंदू हैं

झारखण्ड में मुसलमान जनसंख्या करीब 60 लाख (15 प्रतिशत) है कुछ अहम क्षेत्र की बात करें तो एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकुड़ में 35.08 फीसदी मुसलमान वोट हैं, राजमहल में 34.06 प्रतिशत, जामताड़ा में 38 प्रतिशत, गोड्डा में 27 प्रतिशत, मधुपुर में 25 प्रतिशत, गांडे में 23 प्रतिशत, टुंडी में 22 प्रतिशत, राजधनवार में 17 प्रतिशत, महगामा में 17 फीसदी और हटिया में 16 फीसदी मुसलमान वोट हैं.

लाभार्थियों से खतरा
सत्ताधारी गठबंधन ने र्थियों का एक बड़ा वर्ग भी तैयार कर लिया है कारावास से रिहा होकर सीएम बनने के बाद हेमंत सोरेन ने कई कल्याणकारी योजनाएँ प्रारम्भ की हैं. अगस्त में उनकी गवर्नमेंट ने मैय्या सम्मान योजना की आरंभ की, जिसमें 18 से 50 वर्ष की स्त्रियों को 1,000 रुपये मासिक सहायता दी जा रही है. चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक एक दिन पहले कैबिनेट ने दिसंबर से इस राशि को 2,500 रुपये प्रति माह करने का निर्णय लिया. अन्य पहलों में 40 लाख परिवारों का 3,584 करोड़ रुपये का बकाया बिजली बिल माफ करना, गरीब परिवारों को 200 यूनिट निःशुल्क बिजली मौजूद कराना, और 1,76,977 किसानों का 400.66 करोड़ रुपये का कृषि कर्ज माफ करना शामिल है. इन योजनाओं से लाभान्वित होने वालों की संख्या भी बड़ी है. सिर्फ़ मैय्या सम्मान योजना के अनुसार 53 लाख लाभ पाने वाले हैं, जो 2019 के विधानसभा चुनाव में डाले गए 1.5 करोड़ वोटों का लगभग एक तिहाई है और JMM-कांग्रेस-RJD गठबंधन को मिले कुल वोटों के बराबर है

मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोपी भी मुसलमानों को नहीं दे रहे टिकट
मुसलमानों के नाम पर राजनीति हो रही है सत्ताधारी गठबंधन पर बीजेपी तुष्टिकरण के इल्जाम लगाती रही है, लेकिन राजनीति में मुसलमान हाशिये पर ही हैं जब से राज्य बना है, तब से उनकी सियासी हैसियत बढ़ने के बजाय कम ही हुई है 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों को पिछले चुनावों के मुकाबले सबसे कम टिकट दिया था इस बार भी स्थिति कोई अलग नहीं है झारखण्ड में 2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे. कांग्रेस पार्टी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ा था. उस समय कांग्रेस पार्टी की ओर से पाँच मुसलमान उम्मीदवार और JMM की ओर से चार मुसलमान उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए थे. इसी चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी पाँच मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया था.

2009 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने झारखंड विकास मोर्चा (JVM) के साथ गठबंधन किया. कांग्रेस पार्टी ने आठ मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया, जबकि JVM ने दो मुसलमान उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में JMM और RJD ने भी चार-चार मुसलमान उम्मीदवारों को टिकट दिया था. 2014 के चुनाव में सभी दलों ने भिन्न-भिन्न चुनाव लड़ा. कांग्रेस पार्टी की ओर से सात मुसलमान उम्मीदवार, JMM से छह, JVM से छह और RJD की ओर से एक मुसलमान उम्मीदवार चुनाव लड़े

2019 के चुनाव में JMM, कांग्रेस पार्टी और RJD ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा. इस गठबंधन में JMM ने चार, कांग्रेस पार्टी ने तीन और RJD ने एक मुसलमान उम्मीदवार को टिकट दिया. वहीं, बीजेपी (BJP) ने झारखंड के किसी भी चुनाव में किसी मुसलमान उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है इस बार कांग्रेस पार्टी ने अब तक दो मुसलमान उम्मेदवार उतारे हैं इस बीच झारखण्ड मुसलमान राजनीति का नया अखाड़ा बना हुआ है इसका रिज़ल्ट वोटों की गिनती के बाद दिखेगा

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