भागलपुर। दिवाली खुशियों का त्यौहार है। रौशनी का यह त्यौहार सभी के जीवन में नया उजाला लेकर आती है। कुम्हारों के लिए इसका विशेष महत्त्व है। इस त्यौहार का सीधे तौर पर उनकी रोजी-रोटी से संबंध है। बाजारों में रंग-बिरंगे झालरों के आने से वर्ष रेट वर्ष कुम्हारों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इस साल कुम्हारों रोजगार पर दोहरी मार पड़ गई है। इससे कुम्हारों में काफी बेचैनी नजर आ रही है।
1000 से 1200 रुपये प्रति टेलर मिट्टी
भागलपुर के सबसे बड़े कुम्हार बस्ती में लोकल 18 की टीम से हुई वार्ता में कुम्हारों ने अपनी कठिनाई बताई। कुम्हारों ने बोला कि महंगाई अपने चरम पर है। लेकिन हम लोगों के चाक की स्थिति जस की तस है। लोगों को लगता है मिट्टी फ्री में आती है, तो फिर इनको पैसा कहां लगता है। आपको बता दें की मिट्टी भी खरीद कर लाया जाता है और अब 1000 से 1200 रुपये प्रति टेलर मिट्टी मिल रही है।
बारिश से पड़ी दोहरी मार
प्रदीप पंडित ने कहा कि इस बार हम लोगों को कुछ आर्डर मिले थे लेकिन बारिश के कारण उसको तैयार करने में बहुत परेशानी हुई। व्यापारी अपना आर्डर लेकर नहीं जा रहे हैं।इसके कारण हम लोगों का बना हुआ माल घर में रखा हुआ है। उन्होंने कहा, मिट्टी से बनी दीप 1 रुपये में मिल जाती है वहीं चाइनीज बल्ब 90 से ₹100 का एक मिलता है।महंगे होने पर भी लोग बल्ब की खरीदारी पर ही अधिक बल देते हैं। दीपावली पर दीप जबकि जलाने का पौराणिक महत्त्व है फिर भी इसपर कोई ध्यान नहीं देता है।आपके दीप जलाने से हमारे घर भी रोशन होंगे।
अनुदान राशि की मांग
कुम्हारों से बात करने के बाद पता चला कि इन्हें किसी भी तरह की सरकारी सहायता नहीं मिल पाती है। उनके अनुसार किसी भी तरह के हानि पर उन्हें भी आर्थिक सहायता मिलना चाहिए। हमारी रोजी-रोटी इसी से चलती है, खेती भी यही है। लेकिन हमें गवर्नमेंट के द्वारा ना तो किसी प्रकार की सहायता दी जाती है और ना ही हमें किसी प्रकार का लोन उपलब्ध कराया जाता है। कम से कम असमय मौसम की मार झेलने पर आर्थिक सहायता राशि मिलनी चाहिए।