हैरानी की बात यह है कि पद्मराजन भारत के तीन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, मनमोहन सिंह और पीवी नरसिम्हा राव के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. उनका दावा है कि उन्होंने अब तक 80 लाख रुपए से भी ज्यादा की जमानत राशि पानी में डुबो दी है क्योंकि हर चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो जाती है. साल 2019 में उन्होंने राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में केरल की त्रिशूर और तमिलनाडु के धर्मपुरी से चुनाव लड़ा.
चुनाव राजा ने करुणानिधि, जयललिता, वाईएसआर रेड्डी, एके एंटनी, हेमा मालिनी और विजयकांत के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है और हार गए हैं. चुनाव में हारने की प्रक्रिया 1988 से शुरू की. उन्होंने 1988 में पहला चुनाव गृह नगर मेट्टूर से लड़ा था. अपने किसी भी चुनाव में उन्होंने कभी भी प्रचार नहीं किया क्योंकि वह असफल उम्मीदवार का टैग कायम रखना चाहते हैं. वह टायर मरम्मत की दुकान चलाते हैं. चुनाव राजा ने छह बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा है, छह बार उप-राष्ट्रपति पद का, 32 बार लोकसभा, 50 बार राज्यसभा और 73 बार संसदीय चुनाव लड़ा है.
चुनाव राजा ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति नहीं है. ठीक इसी तरह इंदौर के परमानंद तोलानी भी हैं, जो पिछले 30 सालों में न जाने कितने ही चुनाव हार चुके हैं. उनके पिता भी यही करते थे. परमानंद तोलानी का कहना है कि उनके बाद उनकी दो बेटियां भी चुनाव लड़ेंगी और यह उस समय तक चलेगा जब तक कोई जीत नहीं जाता.
पुणे के प्रकाश कोड़ेकर जब भी चुनाव लड़ने जाते हैं, वह नाम बदल लेते हैं. कोड़ेकर हर चुनाव से पहले कानूनी तौर पर नाम बदलवाते हैं और उसके बाद पर्चा भर देते है. ठीक इसी तरह हैदराबाद में रविंद्र उपुल्ला भी हैं, जो कहते हैं कि अगर वह चुनाव जीतेंगे तो हर 100 दिन बाद लाई डिटेक्टर टेस्ट करेंगे.