फेस्टिव सीजन में मध्यप्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनें खचाखच भरी है. ऐसे में यात्री लंबी दूरी के लिए बसों से यात्रा करने को विवश हैं. लेकिन, इसके लिए कई गुना अधिक किराया देना पड़ रहा है.
ट्रैवल कंपनियों ने भोपाल से अन्य शहरों के लिए जाने वाली बसों का किराया मनमाना बढ़ा दिया है. जो पिछले कुछ महीनों की तुलना में चार गुना तक अधिक है. इनमें भोपाल से पुणे, मुंबई, जयपुर और अहमदाबाद की तरफ जाने वाली बसें शामिल हैं.
30 अक्टूबर तक की स्थिति में 700 रुपए का टिकट बढ़कर 4500 से 5000 रुपए तक पहुंच गया है. भोपाल से लखनऊ जाने का बेत्रवंती ट्रेवल्स का किराया (रेड बस ऐप पर) अधिकतम 5500 है. जबकि वापसी 1100 रुपए में हो रही है. यही नहीं भोपाल से नर्मदापुरम तक के 72 किमी के यात्रा के लिए 220 रुपए वसूले जा रहे हैं.
लखनऊ-पुणे और मुंबई का टिकट सबसे महंगा
भोपाल से मुंबई और पुणे जाने का किराया सबसे अधिक है. साधारण दिनों में यह टिकट 900-1100 तक होता है. जबकि 30 अक्टूबर को यही टिकट बढ़कर 2500 से 5500 तक का मिल रहा है. भोपाल से जाने वाली किसी भी पैसेंजर्स के लिए यह अभी तक का सबसे अधिकतम किराया है. पिछले वर्ष 2023 में यह किराया 5 हजार तक था.
एक यात्री से भोपाल से होशंगाबाद का किराया 220 रुपए लिया गया. जिसकी कम्पलेन 29 अक्टूबर को परिवहन मंत्री और आयुक्त से की गई है.
यात्री ने कहा-फिटनेस खारिज करें, बंद हो गैरकानूनी वसूली
बढ़े हुए किराये को लेकर भोपाल के एक पैसेंजर मंगल सिंह चौहान ने परिवहन मंत्री और आयुक्त से कम्पलेन की है. जिसमें कहा है कि रमाकांत पटेल की जैसवाल बस (MP05-P0387) हरदा से भोपाल के बीच चलती है.
इस बस में ISBT से नर्मदापुरम के बीच का किराया 220 रुपए वसूला जा रहा है. जबकि नियमानुसार 72 किमी का किराया 87 रुपए से अधिक नहीं होना चाहिए. मैंने स्वयं यात्रा करने के लिए टिकट निकाला है. इस बस का फिटनेस खारिज कर गैरकानूनी वसूली पर तुरन्त कार्रवाई होना चाहिए.
सीट एवेबेलिटी के लिए बढ़ाया किराया
एक ट्रेवल कंपनी के ऑनर्स सत्यम की मानें तो दीपावली से पहले भोपाल से लोगों के लौटने की संख्या बढ़ जाती है. एक या दो दिन पहले जो बसें किसी रूट पर भरी हुई जाती है. वापसी में वे खाली होती हैं. वजह यह है कि भोपाल से जाने वाले अधिकांश यात्री दीपावली के 3-5 दिन बाद ही लौटते हैं. इसलिए हमें यहां से जाने वाले पैसेंजर्स की सुविधा को देखते हुए बसें बढ़ानी पड़ती हैं. ताकि सीटों की एवेबेलिटी बनी रहे. यही वजह है कि जाने और लौटने के किराये में अंतर होता है.
कौन से बस स्टैंड से कहां जाने के लिए मिलेंगी बसें