नायडू ने बीएचईएल के कल्चरल सेक्रेटरी के रूप में भी काम किया, जिससे बाद उनको एनटी रामाराव से मिलने का मौका मिला. रामाराव से राजनीति में शामिल होने का भी आग्रह किया था. इसके बाद नायडू ने “प्रजास्वामी पुनरुद्धार” आंदोलन में एक्टिव रूप से भाग लिया. ये आंदोलन 1983 में शुरू हुआ था, जब आंध्र प्रदेश की राजनीति पर संकट छाया हुआ था. ये आंदोलन एनटीआर को प्रदेश का सीएम बनाने के समर्थन में शुरू हुआ था.
आंध्र प्रदेश में नायडू का टीवी पांच चैनल निष्पक्ष पत्रकारिता में सबसे आगे रहा है और लोगों के हितों की वकालत करता है. अमरावती राजधानी परियोजना के लिए भी उन्होंने मुखरता से अपनी बात रखी. पिछली सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ उनका रुख हमेशा से कड़ा रहा है और अपने इसी अडिग रुख के चलते उनको पिछली सरकारों की ओर से देशद्रोह समेत कई कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा.
नायडू ने टीटीडी अध्यक्ष के रूप में पारदर्शिता, जवाबदेही और तीर्थयात्रियों के कल्याण को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया है. उनका लक्ष्य पिछली गलतियों को सुधारना, मंदिर के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और आम आदमी के लिए दर्शन को और अधिक सुलभ बनाना है. एक दूरदर्शी नेता और परोपकारी व्यक्ति के रूप में उनके सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, नायडू की नियुक्ति से तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के लिए प्रगति और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद है.
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