नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ की आरंभ हो गई है. पटना के घाटों पर सुबह से ही व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. व्रतियों ने गंगा में स्नान किया. नए कपड़े पहनकर भगवान सूर्य की पूजा की. इसके बाद नदी के पवित्र जल से सात्विक रूप से बनाए
महापर्व के पहले दिन भोजन में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं होता है. इस दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल बनते हैं. जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. छठ मुख्य रूप से भगवान भास्कर की उपासना का पर्व है.
कद्दू भात खाने का क्या महत्व है?
ऐसा माना जाता है कि मन, वचन, पेट और आत्मा की शुद्धि के लिए छठ व्रतियों का पूरे परिवार के साथ कद्दू-भात खाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अतिरिक्त कद्दू खाने के और भी बहुत सारे लाभ हैं. जैसे कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होता है. जिससे इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग होता है.
36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं व्रती
दूसरे दिन 6 नवंबर को खरना पूजा के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारम्भ हो जाएगा. गंगा जल में मिट्टी के चूल्हे और पीतल के बर्तन में खीर, रोटी का महाप्रसाद बनाया जाएगा. छठ व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही बाकी श्रद्धालु महाप्रसाद ग्रहण करेंगे. इसके बाद तीसरे दिन 7 नवबंर को तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय महापर्व का समाप्ति होगा.
घाटों पर साफ-सफाई और रोशनी की व्यवस्था
पटना समेत पूरे बिहार में छठ को लेकर सारी तैयारी आखिरी चरण में है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में सड़क, गलियों की साफ-सफाई के साथ-साथ रोशनी की पूरी प्रबंध की जा रही है. घाटों पर व्रतियों की सुविधा के व्यापक व्यवस्था किए गए हैं. कई जगहों पर भगवान भास्कर की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. जाति-धर्म भेदभाव को छोड़कर लोग पूरी श्रद्धा से इस पर्व को इंकार रहे हैं.
महापर्व में बरसती है षष्ठी मैया की कृपा
छठ महापर्व शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है. वैदिक मान्यताओं के मुताबिक नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करते हैं. प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है. सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है. सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है.