पटना: बिहार के लोगों के लिए छठ पर्व का क्या महत्व है यह बताने की जरूरत नहीं है। इस महापर्व में छोटे-बड़े आम और खास सभी एक होकर भगवान भास्कर और छठी मइया की अराधना में लीन रहते हैं। बीते चार-पांच दशक में छठ पर्व की महिमा और विख्यात हुई है और इसमें बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के छठ को लेकर गाये हुए गीतों का भी जरूरी सहयोग है। स्थिति यह है कि शारदा सिन्हा और छठ के गीत एक दूसरे के पर्याय जैसे लगते हैं। 1978 में उन्होंने पहली बार उग हो सूरज देव…गाना रिकॉर्ड किया था जो अत्यधिक लोकप्रिय हुआ और छठ पर्व के श्रद्धालुओं के दिल में उतर गया था। आज भी यह गीत उतना ही लोकप्रिय है जितना पांच दशक पहले था।
छठ के लिए शारदा सिन्हा की क्यों है गहरी आस्था?– शारदा सिन्हा ने एक पुराने साक्षात्कार में कहा है कि पटना में छठ के मौके पर उनकी नानी किराए में एक घर लेकर छठ करती थीं। उनके ससुराल बेगूसराय में भी बहुत ही जबरदस्त ढंग से छठ का आयोजन किया जाता था। शारदा सिन्हा प्रारम्भ से ही छठ के गीत सुनना बहुत अच्छा लगता था। जब उन्होंने सबसे पहला छठ का गीत गाया तो उसके कारण लोगों ने उनपर बहुत प्रेम और स्नेह बरसाया। आज भी लोग कहते हैं कि आपके गीत लगाकर छठ करते हैं, तो सुनकर वह रोमांचित हो जाती हैं।
शारदा सिन्हा का पहला छठ गीत कौन सा है?
प्राय: लोग जानना चाहते हैं कि शारदा सिन्हा का गाया पहला छठ गीत कौन सा है? जानकारी के अनुसार, ‘रुनकी झुनकी बेटी मांगीला’ बोल का गीत शारदा सिन्हा का पहला छठ गीत है। यह गीत 1970 के दशक में रिलीज हुआ था और इसी गीत ने उन्हें छठ गीतों की रानी के रूप में स्थापित कर दिया। यह गीत आज भी बहुत लोकप्रिय है। हालांकि, शारदा सिन्हा ने अपने करियर की आरंभ 1960 के दशक में की थी और उन्होंने कई अन्य गीत भी गाए थे, लेकिन, ‘रुनकी झुनकी बेटी मांगीला’ उनका पहला बड़ा हिट गीत था जिसने उन्हें छठ गीतों के क्षेत्र में एक प्रमुख जगह दिलाया। शारदा सिन्हा के अनुसार, उन्हें छठ गीत गाने की प्रेरणा अपनी मां से मिली थी, जो छठ पूजा के दौरान घर पर ही छठ गीत गाया करती थीं।
छठ पर्व शारदा सिन्हा के गीतों के बगैर अधूरा
छठ का त्योहार शारदा सिन्हा के गीतों के बगैर अधूरा है। आइये जानते हैं कि शारदा सिन्हा के वो कौन से छठ गीत हैं जो बहुत ही लोकप्रिय रहे हैं और छठ पूजा में अत्यधिक पसंद किए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख गीत हैं-
रुनकी झुनकी बेटी मांगीला- यह गीत शारदा सिन्हा के सबसे मशहूर छठ गीतों में से एक है और इसमें उन्होंने छठी मईया की भक्ति को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से व्यक्त किया है।
हो दीनानाथ- यह गीत शारदा सिन्हा ने स्वयं लिखा है और इसमें उन्होंने छठी मईया की कृपा को बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है।
केलवा के पात पर उग हे सूरजदेव- यह गीत शारदा सिन्हा के सबसे मशहूर छठ गीतों में से एक है और इसमें उन्होंने सूर्य देव की महिमा को बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है।
पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहार- यह गीत शारदा सिन्हा के सबसे मशहूर छठ गीतों में से एक है और इसमें उन्होंने छठी मईया की भक्ति को बहुत ही भावपूर्ण ढंग से व्यक्त किया है।
दुखवा मिटाईं छठी मईया: यह गीत शारदा सिन्हा ने हाल ही में रिलीज किया है और इसमें उन्होंने छठी मईया की महिमा को बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है।
शारदा सिन्हा की आवाज का खास ‘रंग’
देश-विदेश में उनकी गायिकी के बेशुमार प्रशंसक हैं। लोकगीतों में उनकी आवाज के खास रंग को मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में भी अपने दुनिया में समेटा। बता दें कि शारदा सिन्हा के संगीत का यात्रा 1974 में प्रारम्भ हुआ था। इसके बाद 1978 में उन्होंने पहली बार उग हो सूरज देव… गाना रिकॉर्ड किया था जो अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। उनका गाया यह गीत आज भी छठ पर्व का मानो पर्याय बन गया हो। इस गीत की कामयाबी के बाद वह उन्होंने कामयाबी की सारी ऊंचाइयां प्राप्त की।
कला की सफलता की कहानी यहां देखिये
बिहार कोकिला शारदा सिन्हा को मिले परस्कार और सम्मान उनकी कला और सफलता की कहानी स्वयं ही कह जाती है। बिहार कोकिला को पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। इसके पहले इससे पहले उनको साल 2018 में पद्म भूषण सम्मान भी मिल चुका था। इसके पहले 2015 में बिहार गवर्नमेंट पुरस्कार, 2006 में राष्ट्रीय अहिल्यादेवी अवार्ड, 2000 ईस्वी में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके पहले साल 1991 में ही उनको पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।