धनबाद : धनबाद विधानसभा सीट की राजनीतिक बिसात पर शह और मात का खेल तेज हो गया है। मौजूदा बीजेपी विधायक राज सिन्हा को जीत की हैट्रिक से रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी ने नामांकन के महज 17 घंटे पहले मंझे हुए पार्टी नेता अजय दुबे को उम्मीदवार बनाया। तो कोयलांचल का राजनीतिक पारा एक बार फिर सातवें आसमान पर पहुंच गया। इसके साथ ही धनबाद के चुनावी मैदान में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच जोरदार भिड़न्त की पृष्ठभूमि तैयार होने लगी है।
कौन हैं अजय दुबे?
पेशे से व्यवसायी अजय दुबे का परिवार 2 पीढ़ियों से धनबाद में रह रहा है। आरंभ में वो इंटक की राजनीति में एक्टिव रहे। लंबे समय तक कोयला श्रमिकों के अधिकार के लिए लड़ते रहे। उन्हें प्रदेश कांग्रेसका महासचिव बनाया गया। पार्टी की को-ऑर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन भी रहे। कांग्रेस पार्टी के टिकट पर उन्होंने 2014 में धनबाद संसदीय सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा। उस समय धनबाद विधानसभा से उन्हें 57980 वोट मिले थे। पर तब बीजेपी उम्मीदवार पीएन सिंह के हाथों उन्हें मात खानी पड़ी थी। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। तो उनके कंधों पर कोयलांचल में 10 वर्ष से पड़ा कांग्रेस पार्टी का सूखा समाप्त करने की जिम्मेदारी आ गई है।
कांग्रेस की राह में कितने कांटे?
धनबाद के कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार अजय दुबे बहुत साफ छवि के माने जाते हैं। अपने विनम्र स्वभाव के जरिए वो धनबाद की जनता का दिल जीतने के मिशन में जुट गए हैं। गली-गली में नुक्कड़ सभा और जनसंपर्क अभियान में उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी है। कोयला श्रमिकों के दिलों में स्थान बनाने का अभियान तेज कर दिया है। पर उन्हें टिकट मिलने से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा कांग्रेसियों के नाराज खेमे से भितरघात का खतरा बढ़ गया है। जाहिर है धनबाद की बाजी जीतने के लिए अजय दुबे को रूठे नेताओं का तो साथ हासिल करना होगा ही। धनबाद के राजनीतिक गणित को अपने पक्ष में करने के लिए भी जी तोड़ मेहनत करनी होगी।
BJP में नाराजगी, कांग्रेस पार्टी की लगेगी लॉटरी?
धनबाद से 3 बार विधायक और 3 बार सांसद रहे पीएन सिंह का टिकट हालिया लोकसभा चुनाव में कट गया था। चतरा के बीजेपी सांसद सुनील सिंह भी बेटिकट हो गए थे। उस समय झारखंड की किसी भी लोकसभा सीट से राजपूत उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारने से क्षत्रिय समाज की नाराजगी खुलकर सामने आ गई थी। ऐसे में इस बार के विधानसभा चुनाव में धनबाद से किसी राजपूत नेता को टिकट देकर उस गुस्से को दूर करने की आशा जताई जा रही थी। पर जैसे ही बीजेपी ने तीसरी बार भी राज सिन्हा को टिकट थमा दिया। राजपूत समुदाय का रोष एक बार फिर खुल कर सामने आ गया। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि धनबाद के वर्तमान बीजेपी सांसद ढुलू महतो से भी राज सिन्हा के संबंध अच्छे नहीं हैं। इसी वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में ढुलू महतो और राज सिन्हा के बीच चल रही रस्साकशी सतह पर आ गई थी। बोला जा रहा है कि संसदीय चुनाव के दौरान ढुलू महतो और राज सिन्हा के बीच 36 का आंकड़ा हो गया था। ढुलू महतो के चुनाव प्रचार में राज सिन्हा ने खुले दिल से हिस्सा नहीं लिया था। ढुलू महतो के समर्थक लोकसभा चुनाव का बदला राज सिन्हा से विधानसभा चुनाव में लेने के मूड में नजर आ रहे हैं। बीजेपी के अंदर गहरा रही इसी नाराजगी में कांग्रेसको नयी आशा नजर आ रही है।
क्या है धनबाद का राजनीतिक इतिहास?
धनबाद लंबे समय से बीजेपी का राजनीतिक गढ़ रहा है। आखिरी बार 2009 में बीजेपी को हराकर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार मन्नान मलिक ने बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस पार्टी का झंडा बुलंद किया था। पर 2014 में बीजेपी प्रत्याशी राज सिन्हा ने 52,997 वोट के अंतर से कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी मन्नान मलिक को करारी मात दे दी। 2019 में भी राज सिन्हा और मन्नान मलिक आमने-सामने रहे। बीजेपी इस बार भी जीती। पर हार का अंतर घट कर 30,629 रह गया। धनबाद में सबसे अधिक 15-15 प्रतिशत सवर्ण और मुसलमान वोटर हैं। कांग्रेस पार्टी को इन दोनों समुदायों से समर्थन मिलने की आस है।