देवघर। देवउठनी एकादशी के बाद फिर से शहनाई बजनी प्रारम्भ हो जाएगी, लेकिन कई पुरुष युवतियां ऐसी हैं जिनकी विवाह शादी के संबंध लगते लगते टूट जाते हैं या फिर अच्छे संबंध मिलते ही नहीं हैं। वहीं कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निंद्रा से जागते हैं और फिर से मांगलिक कार्य की आरंभ हो जाती है। यदि इस दिन कुछ तरीका करते हैं तो सभी तरह की परेशानी खत्म हो जायेगी। आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि क्या तरीका करना चाहिए?
देवघर के मशहूर ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से वार्ता करते हुए बोला कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी और प्रबोधनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस वर्ष 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी है और इसी दिन तुलसी शादी भी कर सकते हैं। वहीं कई ऐसे पुरुष युवतियां हैं, जिनके शादी में देरी हो रही होती है। कुंडली में मंगल या शनि गुनाह हो तो शादी में देरी होती है। लड़के के लिए सूर्य बल देखा जाता है और लड़की के लिए गुरु बल देखा जाता है। इन चीजों को देखते हुए देवउठनी एकादशी के दिन कुछ तरीका अवश्य करने चाहिए।
विवाह की परेशानी को खत्म करने के लिए करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु का शादी कराएं। क्योंकि तुलसी माता को लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। इसके साथ ही उस दिन तुलसी के ऊपर सोलह श्रृंगार और सिंदूर अर्पण करें। सिंदूर अर्पण करने के बाद सारे क्रूरह ग्रह शांत हो जाएंगे। वहीं शादी कराने के बाद प्रार्थना करें- हे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी, जो भी परेशानी है वह खत्म कर दें और शुभफल की प्राप्ति प्रदान करें। शादी के बाद तुलसी माता को दूध में गन्ने का रस मिलाकर अर्पण करें। ऐसा करते ही इसी लग्न मे पुरुष और युवतियों के विवाह तय हो जायेगी।