DAP Crisis: देश के कई राज्यों में इन दिनों डीएपी का संकट गहरा गया है. किसान इस वक्त गेंहू और सरसों की बुवाई में लगे हैं ऐसे में अगर समय रहते खाद नहीं मिलती है तो फसलों को नुकसान हो सकता है. गोबर और पारंपरिक खाद किसानों के पास बेहद सीमित मात्रा में होती है इसलिए किसान मुख्यतः यूरिया और DAP खाद पर ही निर्भर होते हैं. खाद की सबसे अधिक समस्या हरियाणा और मध्यप्रदेश में है. राजस्थान, यूपी, बिहार में भी किसान डाई अमोनियम फास्फेट खाद की भारी कमी से जूझ रहे हैं.
किसानों के पूरे-पूरे दिन लाईन में खड़े रहते हैं बावजूद खाद नहीं मिल पा रही. कई जगह तो किसानों को ब्लैक में खाद ख़रीदनी पड़ रही है. दरअसल, इस साल खाद का आयात कम हुआ है जिसकी वजह से संकट बढ़ गया है. देश में सबसे ज्यादा खपत यूरिया की होती है, इसके बाद डीएपी का प्रयोग होता है. प्रति वर्ष मोटे तौर पर सौ लाख टन डीएपी की आवश्यकता होती है.
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक, 2019-2020 में 48.70 लाख मीट्रिक टन डीएपी का आयात किया था, जो 2023-24 में बढ़कर 55.67 लाख मीट्रिक टन हो गया. साल 2023-24 में डीएपी का घरेलू उत्पादन महज 42.93 लाख मीट्रिक टन ही रहा.
सरकार ने क्या कहा?
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने कहा, “जनवरी से चल रहे लाल सागर संकट के कारण डीएपी का आयात कम हुआ, क्योंकि उर्वरक जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6500 किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करनी पड़ी.” उर्वरक मंत्रालय ने कहा कि डीएपी की कीमत सितंबर, 2023 में 589 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से लगभग 7.30 फीसदी बढ़कर सितंबर, 2024 में 632 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन हो गई थी.
इन राज्यों में है खाद का संकट
मध्यप्रदेश में इस साल रबी की फसल के लिए सितंबर माह तक करीब डेढ़ लाख मिट्रिक टन डीएपी की जरूरत है लेकिन उसे अपनी जरूरत का एक तिहाई हिस्सा ही उपलब्ध हो सकता है. इसी तरह यूपी और महाराष्ट्र को 25% कम डीएपी उपलब्ध हुई है.
1. मध्य प्रदेश में इस साल रबी की फसल के लिए 1,57,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, लेकिन राज्य को महज़ 69,702.9 मीट्रिक टन DAP मिल पाई.
2. यूपी में इस साल अगस्त-सितंबर माह में 1,95,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी लेकिन मिली केवल 1,35,474 टन.
3. महाराष्ट्र में 65,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, लेकिन मिली केवल 15,671.7 मीट्रिक टन.
4. छत्तीसगढ़ में 10,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, लेकिन मिली केवल 6,840.1 मीट्रिक टन.
5. कर्नाटक में 41.630 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत थी, जबकि उपलब्धता सिर्फ 23,367.96 मीट्रिक टन की ही थी.
6. तेलंगाना में सितंबर के दौरान 20,000 मीट्रिक टन की जरूरत के मुकाबले 12,139.7 मीट्रिक टन की ही उपलब्धता रही.
7. पश्चिम बंगाल में सितंबर 2024 के दौरान 32,680 मीट्रिक टन की जरूरत के मुकाबले सिर्फ 27,830.61 मीट्रिक टन डीएपी पहुंचा.
विपक्ष ने क्या लगाया आरोप
देश भर में खाद संकट को देखते हुए विपक्ष ने आरोप लगता हैं कि केंद्र सरकार डीएपी खाद के आवंटन में भी राजनीति की है. सरकार ने एनडीए और बीजेपी शाशित चुनावी राज्यों में खाद की कमी न हो इसके लिए दूसरे राज्यों का हिस्सा में चुनावी राज्यों को उपलब्ध करा दिया. इसी के कारण समस्या बढ़ गई है. हाल ही में जयराम रमेश और डिंपल यादव जैसे नेताओं ने भी इस आरोप को सोशल मीडिया के माध्यम से रखा था.
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