टॉलीवुड न्यूज़ डेस्क - तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के दो बड़े सुपरस्टार अपनी मेगा बजट फिल्मों के साथ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने के लिए तैयार हैं। हम बात कर रहे हैं अल्लू अर्जुन और राम चरण की। 'पुष्पा' और 'आरआरआर' जैसी सुपरहिट फिल्मों के बाद ये दोनों भाई एक बार फिर अपनी फिल्मों से पैन इंडिया के दिलों पर राज करने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस बार दोनों की प्रमोशनल स्ट्रैटजी थोड़ी अलग है। आमतौर पर साउथ के एक्टर अपनी फिल्मों का प्रमोशन मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में करते नजर आते हैं। लेकिन इस बार 'पुष्पा 2' के लिए अल्लू अर्जुन पटना के गांधी मैदान का रुख करेंगे, जबकि राम चरण लखनऊ में अपनी फिल्म 'गेम चेंजर' का टीजर रिलीज करेंगे। अब सवाल यह उठ रहा है कि साउथ के फिल्ममेकर्स का उत्तर भारत के प्रति प्रेम क्यों जाग रहा है? इस बारे में हमने इंडस्ट्री के कुछ एक्सपर्ट्स से बात की।
वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक चैतन्य पादुकोण कहते हैं कि उत्तर भारत प्रेम की जगह हम इसे 'मिशन उत्तर भारत' कह सकते हैं इन फिल्मों में ऐसे डायलॉग हैं कि इन्हें सुनने के बाद सिंगल स्क्रीन में बैठे दर्शकों की सीटियां बजने लगेंगी। ढेर सारे डायलॉग, एक्शन सीन और तेज म्यूजिक वाले गाने, ये सब मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों से ज्यादा छोटे शहरों में रहने वाले दर्शकों को पसंद आ रहा है। यही वजह है कि इस बार अल्लू अर्जुन और राम चरण अपनी फिल्म का प्रमोशन उत्तर प्रदेश की उन भीड़-भाड़ वाली जगहों पर कर रहे हैं, जहां उनकी फिल्में हिट हो सकती हैं।
अब नजर उत्तर भारत पर
आलोचक आरती सक्सेना कहती हैं कि न तो राजनेता और न ही फिल्म अभिनेता उत्तर प्रदेश को नजरअंदाज कर सकते हैं। पैन इंडिया ट्रेंड शुरू होने से पहले ही सैटेलाइट चैनलों पर प्रसारित साउथ की फिल्मों के हिंदी डब वर्जन को उत्तर भारत में सबसे ज्यादा देखा जाता था। यहां तक कि यूट्यूब पर भी गोल्डमाइन जैसे चैनलों पर इन फिल्मों को देखने वाले ज्यादातर दर्शक उत्तर भारत के ही हैं। वहां ऐसी मसाला फिल्में हिट होती हैं। 2021 में जब अल्लू अर्जुन की पुष्पा रिलीज हुई थी, तो शुरुआती दिनों में इस फिल्म ने उत्तर प्रदेश में करीब 15 करोड़ और राम चरण की आरआरआर ने उत्तर भारत में करीब 55 करोड़ का कारोबार किया था। यही वजह है कि मुंबई के साथ-साथ अब साउथ के इन दो सुपरस्टार्स की नज़र उत्तर भारत पर भी होगी।
'बॉयकॉट बॉलीवुड' ट्रेंड से होगा फ़ायदा
कोरोना के दौरान शुरू हुए 'बॉयकॉट बॉलीवुड' ट्रेंड से सबसे ज़्यादा फ़ायदा साउथ की फ़िल्मों को हुआ है। सोशल मीडिया पर हर दूसरे दिन आपको इस बारे में पोस्ट देखने को ज़रूर मिल जाती हैं कि किस तरह से साउथ की फ़िल्मों में हमारे देश की संस्कृति को दिखाया जाता है और किस तरह से बॉलीवुड वाले अपनी फ़िल्मों के ज़रिए ग़लत संदेश देते हैं। भले ही बॉयकॉट बॉलीवुड ट्रेंड पर पूछे गए सवाल पर कई साउथ एक्टर्स कह रहे हों कि हम सभी भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री का हिस्सा हैं, लेकिन वो भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अब एक बड़ा हिंदी दर्शक वर्ग उनकी फ़िल्मों को सपोर्ट कर रहा है और यही वजह है कि वो उत्तर भारत जैसी सबसे बड़ी हिंदी पट्टी में अपनी फ़िल्मों का प्रचार कर रहे हैं।