Dev Deepawali 2024 Date: इस साल कब मनाई जाएगी देव दीपावली? जानिए सही तिथि और महत्व
Dev Deepawali 2024 Date: देव दीपावली का त्योहार हर वर्ष कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। ये त्योहार बनारस में खासतौर पर मनाया जाता है। देव दीपावली का पर्व देखने और मनाने लाखों की संख्या में लोग देश- विदेश से वाराणसी के गंगा घाट पर आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार देव दीपावली के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक का वध किया था। देव दीपावली के दिन गंगा घाट पर लाखों की संख्या में दीपक प्रज्वलित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता लोग स्वर्ग लोक से धरती लोक पर आते हैं और अपने भक्तों की सारी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। आइए जानते हैं इस साल देव दीपवाल कब मनाई जाएगी और इसके महत्व के बारे में।
Dev Deepawali 2024 Date (देव दीपावली डेट 2024)
देव दीपावली का पर्व कार्तिक महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस साल इस तिथि की शुरुआत 15 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 16 नवंबर 2024 को मध्यरात्रि में 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल देव दीपावली 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
Dev Deepawali 2024 Shubh Muhurat (देव दीपावली 2024 शुभ मुहूर्त)
देव दीपावली का त्योहार 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन शाम के समय में 5 बजकर 10 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक देव दीपावली मनाने का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय में गंगा घाट पर दिए जलाए जाएंगे।
Dev Deepawali Puja Vidhi (देव दीपावली पूजा विधि)
- देव दीपावली के दिन सुबह गंगा जल युक्त जल से स्नान करें।
- इस दिन गंगा स्नान करने का भी विधान है।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें मिट्टी के दीपक में घी या तेल डालकर दान करें।
- इसके साथ ही इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करें।
- शाम के समय में दीपक जलाएं और दान करें।
- अंत में मंत्र जाप करें और आरती करें।
Dev Deepawali Mahatav (देव दीपावली महत्व)
शास्त्रों में देव दीपावली के पर्व का बहुत ही अधिक महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस सारे देव- देवता धरती लोक पर धरती वासियों के संग दीवाली का पर्व मनाने आते हैं। हर साल कार्तिक पूर्णिमा की तिथि देवता बनारस के गंगा घाट के किनारे दिए जलाने आते हैं, इसलिए वहां पर ये त्योहार बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन गंगा घाट पर दिए जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा करने से साधक की सारी मनोकामना की पूर्ति होती है।