RBI Interest Rate Cut: केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रिजर्व बैंक से ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार करने को कहा है. केंद्रीय मंत्री ने मॉनिटरी पॉलिसी निर्णयों के लिए खाद्य महंगाई पर आरबीआई के अत्यधिक निर्भरता को लेकर सेंट्रल बैंक की इस नीति पर सवाल भी खड़े किए. उन्होंने अस्थिर खाद्य महंगाई को ध्यान में रखते हुए बेस रेट को लेकर लिए जाने वाले निर्णय को बेकार सिद्धान्त करार दिया है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि ये उनकी निजी राय है और ये सरकार का आधिकारिक रुख नहीं है.
सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट को पीयूष गोयल संबोधित कर रहे थे. उन्होंने भरोसा जताया कि दिसंबर तक महंगाई में कमी आएगी. उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में महंगाई आजादी के बाद सबसे कम रही है. पीयूष गोयल ने समिट में आरबीआई के मॉनिटरी पॉलिसी निर्णयों में खाद्य महंगाई पर निर्भरता पर सवाल खड़े किए लेकिन आपको बता दें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का रूख कुछ अलग है.
अगस्त 2024 में आरबीआई गवर्नर ने एक इंटरव्यू में कहा कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में सब्जियों और फूड आईटम्स के कीमतों को निकालकर अगर हम कहेंगे कि महंगाई कम हो गई तो जनता के नजरिए ये कतई ठीक नहीं होगा. उन्होंने कहा, हमें जनता के हिसाब से सोचने की जरूरत है जिन्हें अपने आय का 50 फीसदी खाने-पीने की चीजों पर खर्च करना पड़ता है. उन्होंने कहा, जनता के मन में ये सवाल आएगा हमारी सैलेरी इतनी है और खाद्य वस्तुओं पर इतना खर्च करना पड़ा है फिर कैसे सरकार और आरबीआई कह रही है कि महंगाई कम हो रही है? आरबीआई गवर्नर ने कहा, हमारे हेडलाइन इंफ्लेशन के टारगेट में फूड ऑइटम्स बेहद महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट है. हमारे खपत बास्केट में खाद्य महंगाई का हिस्सा 46 फीसदी है.
वाणिज्य मंत्री ने भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली पर चिंता जताई. उन्होंने निवेशकों से हर तिमाही होने वाले उतार-चढ़ाव की जगह लंबी अवधि के लिए निवेश का नजरिया अपनाने को कहा. छोटी अवधि की चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है.