Mahabharata: आखिर अर्जुन के तरकश से तीर कभी खत्म क्यों नहीं होते थे? जानकर आपके भी उड़ जाएंगे होश
JournalIndia Hindi November 14, 2024 11:42 PM

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अर्जुन से जुड़े कई किस्से कहानियां आपने सुनी होगी। महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण किरदारों में से एक अर्जुन की गिनती सबसे शूरवीर योद्धाओं में होती है।

अर्जुन तीर चलाने में तो पारंगत थे ही साथ ही उनके पास ऐसी दिव्य शक्तियां थी कि उन्हें कोई हरा नहीं सकता था। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि अर्जुन के तरकश से तीर कभी खत्म नहीं होते थे।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अर्जुन को यह तरकश दानव राज मयासुर ने दिया था। मयासुर ने अर्जुन को ये तरकश तब दिया जब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों को लेकर खांडव वन गए थे।

जब राज्य का बंटवारा हुआ तो धृतराष्ट्र ने पांडवों को खांडवप्रस्थ नामक जंगल दिया। वहां पहुंचकर अर्जुन ने श्री कृष्ण से पूछा कि इसे हम अपनी राजधानी कैसे बनाएँगे। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा का आह्वान किया।

विश्वकर्मा जब प्रकट हुए तो उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि प्रभु, इस खांडवप्रस्थ में मयासुर ने नगर बसाया था, लेकिन आज से खंडहर बन चूका है और वही यहाँ के कोने कोने को जानता है। तो आपको उसी को इस जंगल को राजधानी बनाने को कहना चाहिए।

इसके बाद मयासुर वहां पहुंचता है और तभी वह अर्जुन को यह तरकश देता है। इस तरकश से तीर कभी खत्म नहीं होते थे। मयासुर ने अर्जुन को इस बारे में भी जानकारी दी थी कि तरकश अग्निदेव का था जिन्होंने खुद इसे दैत्यराज को दिया था।

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