Maha Kumbh Mela 2025 : दुनियाभर में भारत के सांस्कृतिक गौरव को स्थापित करेगा ‘महाकुंभ’
योगी आदित्यनाथ ने जब पहली बार यूपी के सीएम पद का कार्यभार संभाला तो राजनीतिक गलियारे में ‘कांटो भरा ताज’ बोला गया. यह काफी हद तक ठीक भी था. प्रदेश में कानून प्रबंध की स्थिति बद से बदतर हो चुकी थी. भाई-भतीजावाद और करप्शन के दलदल में प्रदेश गहरे तक धंस चुका था. अपराधियों, माफियाओं से जुड़ी खबरें ही अखबारों की सुर्खियां बनती थी. हताशा और निराशा का आलम यह था कि निवेशक राज्य से बाहर जा रहे थे. विकास और व्यवसायी रैंकिंग में प्रदेश का प्रदर्शन गिरता जा रहा था.
इन कठिन समय में सीएम बनने के बाद सबसे पहले पुलिस मुख्यालय का दौरा कर योगी आदित्यनाथ ने दूरगामी संदेश दिए. साफ था कि कानून प्रबंध योगी की सर्वोच्च अहमियत थी. अपने पहले कार्यकाल में सूबे की गवर्नमेंट इसी पर अमल करती दिखी भी. अपने दूसरे कार्यकाल में यूपी को 1 ट्रिलियन $ की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य का उद्घोष करते समय प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश फॉर यूपी, उत्तर प्रदेश फॉर इण्डिया और उत्तर प्रदेश फॉर ग्लोबल का विजन दिया था. अब जबकि संगम किनारे महाकुम्भ के शुरुआत होने में महज चंद दिन रह गए हैं तो योगी द्वारा कहे गए इन शब्द समूहों की व्यापक व्याख्या जरूरी है.
दरअसल, ये शब्द समूह योगी मॉडल की उपलब्धियों को व्याख्यायित करते हैं. योगी ने सत्ता संभालते ही सबसे पहले ‘यूपी फॉर यूपी’ पर ही अमल किया. कानून प्रबंध की स्थिति सुधारी, प्रदेश की विकास योजनाओं को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया, इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया. माफियाओं, गैंगेस्टरों पर नकेल कसा. राजनीति-अपराधी गठजोड़ पर कड़ा प्रहार किया. देखते देखते बुलडोजर इन्साफ का प्रतीक बन गया. कभी खाकी पर भारी पड़ने वाले लुटेरे पुलिस से बचने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर पोस्ट करने लगे.
योगी ने ‘यूपी फॉर इंडिया’ के जरिए प्रदेश को बीमारु राज्यों की श्रेणी से निकाला. उत्तर प्रदेश को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 12वीं से दूसरे नंबर तक पहुंचाया. पिछली सरकारों के एक जिला, एक माफिया समूह की तानाशाही से एक जिला, एक उत्पाद में परिवर्तित किया. उत्तर प्रदेश को राष्ट्र की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाया. आज राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश का सहयोग 9.2 फीसदी है. यह योगी राज का सुफल है कि राष्ट्र के आधे से अधिक एक्सप्रेसवे अब यूपी में हैं. प्रदेश में किसी भी अन्य राज्य से अधिक 21 एयरपोर्ट हैं. अयोध्या में राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के कारण सांस्कृतिक पुनरुत्थान और समृद्धि के साथ-साथ औद्योगिक विकास भी हुआ है
अब समय आ गया है कि ‘यूपी फॉर ग्लोबल’ को चरितार्थ किया जाए. उत्तर प्रदेश के विकास के दमखम को वैश्विक स्तर पर शोकेस किया जाए. यह प्रयास उत्तर प्रदेश में प्रारम्भ हुए विकास और निवेश के बने माहौल को और विस्तार देगी. योगी गवर्नमेंट महाकुम्भ के लिए प्रयागराज के सुंदरीकरण के साथ अन्य शहरों के विकास को भी गति दे रही है. योगी महाकुम्भ के बहाने एक तरफ तो हिंदुस्तान के सांस्कृतिक गौरव की पुर्नस्थापना कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ विकास के स्वर्णिम अध्याय से दुनिया को रूबरू करा रहे हैं. यह महत्वपूर्ण भी है, क्योंकि विदेशी सैलानियों में उत्तर प्रदेश को लेकर पूर्वाग्रहों को तोड़ने का इससे बढ़िया अवसर नहीं हो सकता. महाकुम्भ 2025 में पूरे विश्व से श्रद्धालु और पर्यटक आएंगे.
प्रदेश गवर्नमेंट सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. यह पहली बार है कि आयोजन का क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया है. 2012-13 में मेला क्षेत्रफल 1932 हेक्टेयर था जो अब 4000 हेक्टेयर हो गया है. सुरक्षा को लेकर गवर्नमेंट कितनी मुस्तैद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूर्व के आयोजनों के मुकाबले इस बार सुरक्षाकर्मियों की संख्या तो बढ़ाई ही गई है थाना, चौकी, फायर स्टेशन भी बढ़ा दिए गए हैं. 2012-13 में जहां 30 थाना, 40 चौकी, 30 फायर स्टेशन थे वहीं महाकुम्भ 2025 में इनकी संख्या क्रमश: 56, 155 ओर 60 होगी.
लॉ एंड ऑर्डर सुनिश्चित करने के लिए इस बार पूर्व के आयोजनों के मुकाबले अधिक सुरक्षाकर्मी मुस्तैद किए जाएंगे. यदि आंकड़ों की बात करें तो 18479 नागरिक पुलिस, 13965 होमगार्ड्स, 1378 स्त्री पुलिस, 1405 यातायात पुलिस, 1158 सशस्त्र पुलिस, 146 घुड़सवार पुलिस समेत कुल 37 हजार 611 जवान तैनात होंगे. पूर्व के कुम्भ आयोजनों में जनशक्ति की तैनाती 2013 में 22,998 और 2019 में 27,550 थी. महाकुम्भ 2025 में यह संख्या बढ़कर 37,611 पहुंच गई है. सम्पूर्ण मेला क्षेत्र को 10 जोन, 25 सेक्टर और 155 चौकियों में विभाजित किया गया है.
महाकुम्भ के आयोजन में किसी तरह की खलल ना पड़े इसके लिए सात चरणों का सुरक्षा घेरा तैयार किया गया है. प्रत्येक श्रद्धालु को सात चरणों की चेकिंग प्रबंध से होकर मेला क्षेत्र में पहुंचना होगा. यह बोलना गलत नहीं होगा कि पहले की सरकारें कुम्भ सरीखे आयोजनों की सिर्फ़ प्रबंध करती थी लेकिन योगी आदित्यनाथ स्वयं स्वागतकर्ता की किरदार में है.
इसलिए भी योगी आदित्यनाथ महाकुम्भ की तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते. पूर्व की सरकारों के दौरान आयोजन में ढिलाई की वजह से हुए हादसों को भला कैसे भूला जा सकता है. 3 फरवरी, 1954 को मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान भगदड़ से आठ सौ मौतें हुई थीं. तत्कालीन नेहरू गवर्नमेंट पर ढिलाई के इल्जाम लगे थे. अखिलेश राज में 10 फरवरी, 2013 को प्रयागराज स्टेशन पर हुई भगदड़ में 42 लोग मारे गए, कई घायल हुए. इतना ही नहीं अखिलेश राज में आयोजित महाकुंभ के दौरान मेला प्रशासन पर करप्शन के गंभीर इल्जाम भी लगे. कैग रिपोर्ट से पता चला कि गवर्नमेंट ने केंद्र से मिले धन को खर्च करके पूरा मेला निपटा दिया जबकि अखिलेश गवर्नमेंट को इस आयोजन में 70 प्रतिशत धन खर्च करना था. यह एक बड़ी विसंगति सामने आई थी.
योगी के मुख्यमंत्रित्व काल में 2019 में कुम्भ का आयोजन बेदाग और सकुशल सम्पन्न हुआ था. आशा है कि अमृतकाल का पहला महाकुम्भ ना सिर्फ़ पूरे विश्व में हिंदुस्तान के सांस्कृतिक गौरव को स्थापित करेगा बल्कि दुनिया बदलते उत्तर प्रदेश से परिचित होगी. अस्थिरता, विवाद और अशांति के वैश्विक दौर में इस बार के महाकुम्भ से विश्व बंधुत्व का संदेश पूरी दुनिया में पहुंचेगा.