उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क त्रिवेणी नगर में कालाजार से पीड़ित मिले किशोर की जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पूरे इलाके में निरीक्षण किया. टीम को पीड़ित किशोर के घर पर सीलन और जमीन में दरारें मिलीं हैं. साथ ही एक बालू मक्खी भी मिली है. मक्खी मादा या नर है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. यह बुखार मादा बालू मक्खी के काटने से ही फैलता है. अभी मक्खी के नर या मादा होने की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.
इलाके के 300 लोगों के नमूने भी लिए गए थे, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है. त्रिवेणी नगर में 23 को एक किशोर को परिवारीजनों ने तेज बुखार होने पर एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था. अस्पताल के डॉक्टरों ने जांच कराई और कालाजार की आशंका जताई.
करीब एक सप्ताह इलाज के बाद युवक ठीक होकर घर गया. रिपोर्ट करीब आठ दिन बाद आई, जिसमें पता चला कि वह कालाजार संक्रमित है. उसके बाद डब्ल्यूएचओ और जिला मलेरिया टीम को संक्रमित किशोर के घर पर बालू मक्खी मिली जिसको जांच के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट का अभी इंतजार है.
लखनऊ में 2022 में मिला था आखिरी केस
छिड़काव और वैक्सीनेशन से वर्ष 2022 के बाद शहर को कालाजार मुक्त माना जाने लगा था, लेकिन संक्रमित पाए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई हैै. बलरामपुर अस्पताल के फिजिशियन डॉ. विष्णु कुमार का कहना है कि वैसे यह बुखार पूर्वांचल व सीलन वाले इलाकों में अधिक होता रहा है. इसलिए लखनऊ के लोगों को चिंता करने की बात नहीं है. कालाजार बुखार में बुखार के साथ मरीज का रंग काला होने लगता है. कमजोरी, खाना खाने की इच्छा नहीं होती है.
लखनऊ न्यूज़ डेस्क