Sri Lankan Parliamentary Election : श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (NPP) ने शुक्रवार को संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करते हुए संसद में 2 तिहाई बहुमत हासिल कर लिया और देश के तमिल अल्पसंख्यकों के गढ़ जाफना निर्वाचन क्षेत्र पर भी अपना प्रभुत्व बनाए हुए है। श्रीलंका के निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव परिणामों से यह जानकारी मिली।
श्रीलंका के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट द्वारा जारी चुनाव परिणामों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 225 सीट में से 159 पर जीत दर्ज की। 1978 में लागू देश की आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत पहली बार किसी पार्टी को दो-तिहाई बहुमत मिला है।
कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने दिसानायके से मुलाकात कर उन्हें उनकी पार्टी की भारी जीत पर बधाई दी। एक बयान में कहा गया, एक साथी लोकतंत्र के रूप में भारत इस जनादेश का स्वागत करता है तथा अपने लोगों के लाभ के लिए द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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एनपीपी को 68 लाख या 61 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं, जिससे उसने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बना ली है। श्रीलंका में साजिथ प्रेमदासा की पार्टी समागी जन बालवेगया 40 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। इलंकाई तमिल अरासु काडची को आठ, न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट को पांच और श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना तथा श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस को तीन-तीन सीटें मिलीं।
बृहस्पतिवार को हुए चुनाव में 2010 के बाद से सबसे कम मतदान हुआ। दिसानायके ने सितंबर में राष्ट्रपति चुने जाने के तुरंत बाद ही त्वरित चुनावों की घोषणा की थी। नई संसद का सत्र अगले सप्ताह शुरू होने वाला है। वामपंथी राष्ट्रपति के गठबंधन ने जाफना निर्वाचन क्षेत्र में इतिहास रच दिया, क्योंकि इसने समुदाय की सांस्कृतिक राजधानी में पारंपरिक तमिल राष्ट्रवादी पार्टियों को पराजित कर दिया।
यह पहली बार है जब देश के दक्षिणी हिस्से से एक प्रमुख सिंहली पार्टी ने यह उपलब्धि हासिल की है। इससे पहले यूनाइटेड नेशनल पार्टी ने जिले में एक मात्र सीट जीती थी। एनपीपी ने जिले में 80,000 से अधिक वोट हासिल किए, जबकि इलंकाई तमिल अरासु कच्ची (आईटीएके) को अंतिम गणना में 63,000 से अधिक वोट मिले। जिले में तीन सीटें दिसानायके की पार्टी को मिलीं।
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आईटीएके, ऑल सीलोन तमिल कांग्रेस (एसीटीसी) और इंडिपेंडेंट ग्रुप 17 ने एक-एक सीट जीती। इस उत्तरी जिले में चुनाव परिणाम नए राष्ट्रपति के चुनाव-पूर्व दावे के अनुरूप हैं, जिन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी को सभी समुदायों ने एक सच्ची राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने और विभाजित करने का युग समाप्त हो गया है क्योंकि लोग एनपीपी को गले लगा रहे हैं।
एनपीपी ने अपने मूल संगठन जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के तहत सत्ता साझा करने के किसी भी प्रयास का जबरदस्त विरोध किया था जो कि एलटीटीई के सशस्त्र अलगाववादी अभियान के दौरान तमिलों की एक प्रमुख मांग थी। श्रीलंका में आर्थिक संकट से उबरने के बाद चुनाव हुए। (भाषा)
Edited by : Chetan Gour