झांसी, 16 नवंबर . झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एनआईसीयू वार्ड में लगी आग ने 10 नवजातों की जान ले ली. इस हादसे के बाद अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है.
कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जो मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही की ओर इशारा करती हैं. इसमें दिख रहा है कि मेडिकल कॉलेज में मौजूद फायर एक्सटिंग्विशर (आग बुझाने वाला सिलेंडर) एक्सपायर हो चुके थे. ये 2020 और 2023 में ही एक्सपायर हो गए और अस्पताल की ओर से इसे रिफिल भी नहीं कराया गया था.
वहीं, 10 नवजातों की मौत से पीड़ित परिवार बेहाल है. डीएनए टेस्ट कराए जाने की मांग की जा रही है. उनका आरोप है कि जब आग लगी थी तो स्टाफ को बच्चों को निकालना चाहिए था.
अपने शिशु को तलाशते पिता कुलदीप ने बताया कि मैंने खुद आग लगने के बाद चार से पांच बच्चों को बचाया है. हालांकि, मेरा खुद का बच्चा नहीं मिल रहा. मेरी मां और पत्नी का शुक्रवार रात से ही रो-रोकर बुरा हाल है. मेरा पूरा परिवार हादसे के बाद से काफी परेशान है और अभी तक किसी ने यह भी नहीं बताया है कि बच्चा मिलेगा या नहीं. एक डॉक्टर गाली दे रहा है कि मरने दो.
एक महिला माया ने कहा कि अस्पताल में आग लगने के बाद से हमारे बच्चे का भी कुछ पता नहीं चल पाया है. इस घटना के बाद से अस्पताल में जाने नहीं दिया जा रहा है. मेरी बेटी का बच्चा अस्पताल में भर्ती था और उसे मशीन में रखा गया था. आग लगने की घटना की जानकारी उस समय पता चली, जब लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया. इसके बाद लोगों ने खिड़की तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला, हमारे बच्चे का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
अंकित नाम के शख्स ने बताया कि मेरे छोटे भाई का बेटा अस्पताल में भर्ती था. वह लगभग 7 महीने का था. हमें अनाउंसमेंट में बताया गया कि हमारे बच्चे की मौत हो गई है. हमारी मांग है कि डीएनए टेस्ट कराए जाएं.
एक अन्य महिला ने इस घटना को लेकर अस्पताल पर सवाल उठाए हैं. उसने कहा कि हादसे के बाद से अस्पताल के अंदर जाने नहीं दिया गया है. हमारा बच्ची अभी भी लापता है और उसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
जानकारी के मुताबिक मेडिकल कॉलेज की भीषण आग में अभी तक 10 नवजातों की मौत की पुष्टि हुई है और करीब 45 को बचाया जा चुका है.
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एफएम/केआर
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