2007 में आमिर खान ने 'तारे जमीन पर- के साथ एक बेहतरीन फिल्म दी, जो यादगार और अनोखी थी। इस फिल्म ने शिक्षा प्रणाली को एक नए नजरिए से दिखाया और पुराने स्टीरियोटाइप्स को चुनौती दी। साथ ही, इसने एक जरूरी संदेश दिया कि हर बच्चा खास होता है।
यह फिल्म लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही। दर्शील सफारी ने इशान के रूप में शानदार अभिनय किया, और आमिर खान का राम शंकर निकुंभ का किरदार वाकई कमाल का था।
आमिर खान, जो हर रोल को परफेक्ट बनाने के लिए जाने जाते हैं, ने तारे ज़मीन पर में अपने किरदार के पीछे एक दिलचस्प कहानी दी। उन्होंने राम शंकर निकुंभ का रोल निभाया, जो एक डिस्लेक्सिया थैरेपिस्ट हैं और इशान की ज़िंदगी बदल देते हैं।
इस रोल की तैयारी के लिए आमिर ने स्पेशल एजुकेटर्स और थैरेपिस्ट्स के साथ समय बिताया, ताकि उनके काम को गहराई से समझ सकें। उन्होंने डिस्लेक्सिक बच्चों के एक स्कूल में वॉलंटियर भी किया, ताकि उनकी चुनौतियों और ज़रूरतों को करीब से जान सकें। उनकी यह मेहनत फिर से साबित करती है कि आमिर खान को क्यों मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहा जाता है।
'तारे जमीन पर' एक खास और अनोखी फिल्म है। यह न सिर्फ कमर्शियल हिट रही, बल्कि 55वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में तीन नेशनल अवॉर्ड्स भी जीते: बेस्ट फैमिली वेलफेयर फिल्म, बेस्ट लिरिक्स ('मां' के लिए प्रसून जोशी) और बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर ('मां' के लिए शंकर महादेवन)। फिल्म को इसकी कहानी, स्क्रीनप्ले, निर्देशन, डायलॉग्स, म्यूजिक और परफॉर्मेंस के लिए खूब सराहा गया। साथ ही, इस फिल्म ने डिस्लेक्सिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाई।