डीजीपी विनय कुमार की घोषणा से भ्रष्टाचारियों में संकट , अपराध से अर्जित सम्पत्ति करने वालों में ख़ौफ़
रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । 31 दिसंबर । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार को लेकर शुरू से ही सख़्त रहे है । नीतीश कुमार के सरकार को सुशासन सरकार की संज्ञा दी गयी है । क्राइम और भ्रष्टाचार से कभी समझौता नहीं किया । हाल की स्थिति विपरीत दिखाई दे रही है । वर्ष 2024 में मात्र भ्रष्टाचार से जुड़े 8 मामले निगरानी में दर्ज हुए है । वहीं आय से अधिक अर्जित मामले 2 एवं पद दुरुपयोग के 2 मामले दर्ज हुए है । जिसे किसी स्थिति में संतोषजनक नहीं कहां जा सकता है । या कहें तो निगरानी विभाग कमजोर हुई है । वहीं निगरानी विभाग के अधिन आने वाली ईओयू ने आय से अधिक अर्जित व फर्जीवाड़ा के 28 मामले ज़रूर दर्ज किया है । तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक नैय्यर हसनैन खां ने मृत ईओयू को ज़िंदा कर धारदार बना दिया है । वहीं निगरानी विभाग का भ्रष्टाचार पर प्रहार कमज़ोर हुआ है । इसके पीछे संसाधन की कमी की बात सामने आयी है । वर्तमान वर्ष में निगरानी विभाग के 5 कर्मी सेवानिवृत्त हो गये और एक दूसरे विभाग में ट्रांसफ़र कर दिए गये । जबकि इसके एवज़ में एक भी नहीं मिला । हाल में सरकार के पास पुलिसकर्मियों की कोई कमी नहीं है । अब सवाल उठता है की निगरानी विभाग को क्यों मज़बूत नहीं किया जा रहा है ।
नीतीश सरकार द्वारा प्रभावी कार्रवाई पर गौर करें तो वर्ष 2007 में भ्रष्टाचार से जुड़े 108 ट्रैप के मामले दर्ज किए गये थे । 9 वर्षों बाद तत्कालीन डीजी रवीन्द्र कुमार ने वर्ष 2016 में 2007 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 109 ट्रैप कराए एवं जुड़े 121 भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने का काम किया । इसमें पहले स्थान पर पुलिस विभाग एवं दूसरे स्थान पर राजस्व विभाग रहा था । एक मामले में तो आईएएस संगठन गोलबंद हो गये थे । लेकिन सरकार ने भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं किया था ।
आठ वर्षों में भ्रष्टाचार से जुड़े कार्रवाई में काफ़ी गिरावट आयी । वर्ष 2019 में निगरानी विभाग ने ट्रैप के 41 मामले दर्ज किया । वर्ष 2020 कोरोना काल में भी ट्रैप के 24 मामले दर्ज कर भ्रष्टाचार के आरोपियों को जेल भेजने का काम किया गया । वर्ष - 2021 में 44 ट्रैप के मामले निगरानी में दर्ज किया गया । वर्ष 2022 का आंकड़ा सामने नहीं हैं, लेकिन तत्कालीन एडीजी सुनिल कुमार ने बेहतर कार्रवाई किया था । बीते वर्ष 2023 की बात करें तो ट्रैंप के 29 मामले दर्ज किया गया, आय से अधिक सम्पत्ति के 2 एवं पद दुरुपयोग के 1 मामले दर्ज हुए थे , जो वर्तमान वर्ष 2024 से तिगुना अधिक है ।
बिहार के नये डीजीपी विनय कुमार ने योगदान लेते हुए ही स्पष्ट घोषणा कर दिया हैं कि अपराध और भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं किया जायेगा । अपराधियों ने जो अपराध के द्वारा सम्पत्ति बनाया है उसे पुलिस जब्त करेगी । ऐसा क़ानून में प्रावधान है । सूबे के सभी थानेदारों से दो- दो की सूची मांगा गया है एवं जल्द एसपी के स्तर से प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया है । इससे जहां भ्रष्टाचार में लिप्त लोकसेवकों पर संकट के बादल मंडरा रहे है वहीं अपराधियों में ख़ौफ़ है । इसके साथ ही ऐसी सम्भावना है की भविष्य में निगरानी विभाग पुनः मज़बूत होगी और मजबूती से काम करेगी ।