इंटरनेट डेस्क। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरूआत होने जा रही है और ऐसे में यहा नागा साधुओं का आना शुरू हो गया है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाले इस कुंभ में आपको कई चीजे देखने को मिलेगी। वैस आज बात नागा साधुओं की हो रही हैं और वो भी महिला नागा साधुओं की। इन साधुओं का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति है, और इसके लिए वे दुनिया से कटकर कठिन साधनाएँ करते हैं। लेकिन महिला नागा साधुओं की उपस्थिति इस दुनिया को और भी रहस्यमयी और दिलचस्प बनाती है।
महिला नागा साधुओं के नियम
नग्न रहने की इजाजतः महिला नागा साधु बनने वाली केवल एक महिला को नग्न रहने की इजाजत दी गई थी, और वह थी साध्वी ब्रह्मा गिरी। साध्वी ब्रह्मा गिरी के बाद, किसी भी महिला नागा को पुरुषों की तरह नग्न रहने की अनुमति नहीं दी गई।
वस्त्र पहनने के क्या हैं नियमः महिला नागा साधुओं को एक विशेष प्रकार का गेरुआ रंग का कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जो बिना सिला होता है। इस कपड़े में एक ही गांठ होती है, जो यह प्रतीक होती है कि वह अपने शरीर को ढकने के लिए इसे पहनती हैं।
सार्वजनिक स्थानों पर नहीं रह सकती नग्नः महिला नागा साधु अपने अखाड़े में नग्न रह सकती हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर नग्न अवस्था में आना उनके लिए निषिद्ध है। यह नियम उनके सम्मान और सुरक्षा की दृष्टि से है।
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