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रावण ने देवताओं को ही नहीं सताया, बल्कि ‘नवग्रहों’ को भी उसने अपने मुट्ठी में कर लिया। इतना ही नहीं वह उन्हें लंका भी ले गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब मेघनाद का जन्म होने वाला था, तब रावण ने सभी ग्रहों को ऐसे ही घरों में रख लिया।
हालांकि शनि ने चाल चली और 'मेघनाद' के जन्म से ठीक पहले वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर गए।
इसी वजह से मेघनाद अजर अमर नहीं हो सका। ये देख कर रावण को बेहद ही ज्यादा गुस्सा आया। रावण ने इसके बाद शनिदेव के पैर पर गदा से प्रहार कर दिया।
यही कारण है कि शनि की चाल खराब हो गई। इतना ही नहीं रावण ‘सिंहासन’ पर जब बैठता था तो अपने पैर रखने के लिए ‘शनि’ की पीठ का इस्तेमाल करता था।
इस तरह से रावण ने अपने पैर ‘शनि भगवान’ और अन्य ग्रहों के शरीर पर रखे। रावण ने उन पर कई जुल्म किए।
इसके कई वर्षों बाद जब हनुमान सीता माता की खपज करने के लिए लंका गए तो उन्होंने ही इन नौ ग्रहों को रावण की क़ैद से आजाद करवाया।
ये भी कहा जाता है कि रावण ने अपनी शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल किया और कई देवताओं को बंदी बना लिया। उन्होंने उस समय ‘यमराज’ को भी अपने पैरों के नीचे बंदी बना का रखा था।
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