अगर आपको प्यार की निशानी देखनी है तो आप इस बार ग्वालियर जाइये और यहां का गुजरी महल देखिये. इस महल को ताजमहल की तरह ही प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इसका निर्माण राजा मान सिंह तोमर ने अपनी पत्नी के लिए करवाया था. यह महल बेहद सुंदर है और इसकी नक्काशी टूरिस्टों को अपनी ओर अट्रैक्ट करती है. गुजरी महल में स्थित मूर्तियां भी बेहद सुंदर हैं. इस महल के अंदर 1920 में म्यूजियम बनाया गया था. टूरिस्ट इस म्यूजियम को भी देख सकते हैं. आइए इस महल और राजा मान सिंह और गुजरी की प्रेम कहानी के बारे में जानते हैं.
गुर्जर कन्या राई गांव में रहा करती थी. यह गांव ग्वालियर से 18 किलोमीटर दूर है. राजा मान सिंह गुर्जर कन्या की बहादुरी और खूबसूरती के कायल हो गए थे. कहा जाता है कि एक दिन राजा मानसिंह राई गांव में शिकार के लिए गये थे और रास्ते में दो भैंसे आपस में लड़ रही थी. कोई भी उन दोनों भैंसों को छुड़ाने की हिम्मत नहीं कर रहा था. तभी भीड़ में से निकलकर एक सुंदर युवती ने उन दोनों ही भैंसों को अलग कर दिया. यह देखकर राजा मान सिंह को उस गुर्जर कन्या से प्रेम हो गया.
जब राजा मान सिंह ने गुर्जर कन्या के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो उसने तीन शर्ते रखीं. पहली शर्त थी राजा मान सिंह गुर्जर कन्या के लिए महल बनाएंगे. दूसरी शर्त थी कि विवाह के बाद राजा उसके साथ ही रहेंगे. गुर्जर कन्या ने तीसरी शर्त रखी कि वह अपने ही गांव का पानी पिएगी. राजा मानसिंह ने तीनों शर्ते मानी और मृगनयनी से विवाह किया. इस तरह राजा मान सिंह ने मृगनयनी के लिए 1571 में गुजरी महल बनवाया. राई गांव से लेकर महल तक पानी की नहर बनाई गई ताकि पानी आ सके.
गुजरी महल 71 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा आयताकार भवन है. इस महल के अंदर एक विशाल आंगन है. इस महल को ऐसे डिजाइन किया गया था कि दुश्मन यहां हमला न कर सके.