बिना किसी डिग्री के ऐसे शुरू करे डीजल के पौधे की खेती, 5 साल तक किसानों की होगी छप्परफाड़ कमाई
Samachar Nama Hindi January 12, 2025 06:42 PM

बिज़नेस न्यूज़ डेस्क - अगर आप बंपर कमाई वाले बिजनेस आइडिया की तलाश में हैं, तो आपकी यह इच्छा यहां जरूर पूरी होगी। आज हम एक ऐसे हाई अर्निंग बिजनेस के बारे में बता रहे हैं। जिससे आपको पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी। साथ ही आपकी जेब भी हमेशा गर्म रहेगी। मौजूदा समय में किसान भी पारंपरिक खेती छोड़कर नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इसी तरह डीजल प्लांट भी है।

इसकी खेती से किसान मालामाल हो रहे हैं। वैसे तो इसे जेट्रोफा या रतनजोत कहते हैं। लेकिन आम बोलचाल में इसे डीजल प्लांट कहते हैं। इन पौधों से बायोडीजल प्राप्त होता है।इसकी खेती साल में कभी भी बंजर जमीन पर की जा सकती है। बिना ज्यादा मेहनत के आसानी से सालाना लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। इसके बीज भी बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। इसके पौधे को खेत में ज्यादा पानी और जुताई की जरूरत नहीं होती। सिर्फ 4 से 6 महीने की देखभाल की जरूरत होती है। बाद में यह पौधा पांच साल तक बीज देगा।

जानिए डीजल प्लांट या जेट्रोफा क्या है
जेट्रोफा एक झाड़ीनुमा पौधा है जो अर्ध शुष्क क्षेत्रों में उगता है। इस पौधे से निकलने वाले बीजों से 25 से 30 प्रतिशत तेल निकाला जा सकता है। इस तेल का इस्तेमाल करके कार आदि डीजल वाहन चलाए जा सकते हैं। वहीं, इसके बचे हुए अवशेषों से बिजली भी बनाई जा सकती है. यह एक सदाबहार झाड़ी है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान के कुछ इलाकों में इसकी खेती की जाती है। जेट्रोफा के पौधे को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता है. सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। फिर इसके पौधों को खेत में लगाया जाता है. इसकी खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि एक बार खेत में लगाने के बाद आप 5 साल तक आसानी से फसल ले सकते हैं।

जेट्रोफा के बीजों से डीजल कैसे प्राप्त किया जाता है?
जेट्रोफा के पौधों से डीजल बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है। सबसे पहले जेट्रोफा के पौधे के बीजों को फलों से अलग करना होता है। इसके बाद बीजों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है. फिर उन्हें एक मशीन में डाला जाता है. जहां से इसका तेल निकाला जाता है. यह प्रक्रिया बिल्कुल सरसों से तेल निकालने की प्रक्रिया जैसी ही है।

जेट्रोफा की मांग बढ़ी
डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत समेत पूरी दुनिया में इसकी मांग बढ़ गई है। भारत सरकार भी इसकी खेती में किसानों की मदद कर रही है। एक हेक्टेयर जमीन पर औसतन 8 से 10 क्विंटल बीज का उत्पादन होता है। सरकार 12 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बीज खरीदती है। वहीं, बाजार में यह 1800 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल बिकता है। अगर इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाए तो पारंपरिक फसलों के मुकाबले बंपर कमाई की जा सकती है।

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