इसरो का ऐतिहासिक कदम: स्पेस डॉकिंग प्रयोग में नई उपलब्धि
Newsindialive Hindi January 12, 2025 08:42 PM

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई कहानी लिखने जा रहा है। स्पेस डॉकिंग प्रयोग (स्पेडेक्स) के तहत इसरो ने प्रक्षेपित किए गए दो उपग्रहों को परीक्षण के तौर पर करीब 3 मीटर की दूरी तक लाकर फिर सुरक्षित रूप से पीछे ले जाने का सफल परीक्षण किया है।

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर इस प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआत में 15 मीटर और फिर 3 मीटर की दूरी पर अंतरिक्ष यान को लाने का प्रयास किया गया। अब विस्तृत डेटा विश्लेषण के बाद डॉकिंग प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।

स्पेडेक्स प्रोजेक्ट: देरी के बावजूद मजबूत प्रयास

इसरो का स्पेस डॉकिंग प्रयोग प्रोजेक्ट, स्पेडेक्स (SPADEX), 7 और 9 जनवरी की तय समय-सीमा को पार करने के बाद 30 दिसंबर को सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C60 रॉकेट के माध्यम से दो छोटे अंतरिक्ष यान—स्पेसक्राफ्ट ए (SDX01) और स्पेसक्राफ्ट बी (SDX02)—को 476 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया। प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद, 220-220 किलोग्राम वजनी इन अंतरिक्ष यानों ने योजना के अनुसार अपनी कक्षा में प्रवेश किया।

स्पेडेक्स: भारत के लिए क्यों है खास?

स्पेडेक्स परियोजना अंतरिक्ष में डॉकिंग की प्रक्रिया को किफायती तकनीक के माध्यम से अंजाम देने की इसरो की एक अभिनव पहल है। यह परियोजना भविष्य के जटिल मिशनों—जैसे कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण और चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने—के लिए आवश्यक तकनीकी नींव रखेगी।

स्पेडेक्स में सफलता के बाद भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक पर महारत हासिल की है। यह उपलब्धि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी।

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.