भागलपुर, 13 जनवरी . मकरसंक्रांति का पर्व आने के साथ ही भागलपुर में कतरनी चूड़ा की खुशबू फैलने लगती है. वैसे भी कतरनी धान अपने आप में खास है. इसकी अद्भुत सुगंध और विशिष्ट स्वाद होने की वजह से इसे जीआई टैग मिल चुका है. कतरनी धान से कतरनी चावल और चूड़ा तैयार होता है. चूड़ा मिल में कतरनी धान को प्रोसेस के बाद कतरनी चूड़ा तैयार होता है. इसके स्वाद के दीवाने लोग आम दिनों में तो इसका स्वाद चखते हैं ही लेकिन जब मकरसंक्रांति हो तो थाली में दही के साथ यह चूड़ा मिल जाये तो उनके लिए मानो सोने पर सुहागा जैसा हो.
भागलपुर के सुल्तानगंज और जगदीशपुर इलाके में और बाँका में बड़े पैमाने पर कतरनी धान की खेती होती है. भागलपुर में 1300 एकड़ तो बाँका में 1100 एकड़ में कतरनी धान की खेती होती है. बताया जाता है कि इस इलाके के मिट्टी में ऐसी खासियत है कि इसमें प्राकृतिक खुशबू होती है. सुल्तानगंज के आभा रतनपुर गाँव मे 100 से अधिक किसान जैविक विधि से कतरनी धान उपजाते हैं. यहां के मनीष कुमार द्वारा उपजाया कतरनी चूरा पिछले 5 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महामहिम राष्ट्रपति को जिला प्रशासन द्वारा भेजा जाता है. मनीष ने पिछले वर्ष दुबई भी चूड़ा भेजा था. इस सीजन में अब तक 12 क्विंटल चूड़ा की बिक्री हो चुकी है. इस वर्ष कतरनी चूड़ा 140 रुपये किलो बिक रहा है, जो साधारण चूड़ा से साढ़े तीन गुणा अधिक है. बावजूद इसके कतरनी चूड़ा की बिक्री ताबड़तोड़ जारी है.
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/ बिजय शंकर