Himachali Khabar : हरियाणा की नायब सैनी सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले किए गए अपने एक महत्वपूर्ण वादे को पूरा कर दिया है। सरकार ने हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन हरियाणा संविदात्मक कर्मचारी (सेवा की सुनिश्चितता) विधेयक, 2024 को पारित कर दिया। इस विधेयक के तहत, प्रदेश में पांच साल से अनुबंध पर काम कर रहे 50,000 रुपये तक वेतन वाले करीब 1.20 लाख कर्मचारियों की सेवाओं को 58 साल की आयु तक सुरक्षित कर दिया गया है। यह कदम मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार द्वारा श्रमिकों के हित में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री का बयान:
विधेयक पारित होने के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वह प्रदेश के 1.20 लाख संविदात्मक कर्मचारियों को उनके पक्के होने पर बधाई और शुभकामनाएं देते हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र के मंदिर में कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि भविष्य में 50,000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा के लिए भी एक विधेयक लाया जाएगा।
हरियाणा कौशल रोजगार निगम का गठन:
मुख्यमंत्री ने बताया कि कांग्रेस शासन के दौरान ठेकेदारों के माध्यम से कर्मचारियों का शोषण किया जाता था, जिनमें कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दिया जाता था और यदि कोई अपनी आवाज उठाता था तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया जाता था। इस असमानता को दूर करने के लिए उनकी सरकार ने 1 अप्रैल, 2022 को हरियाणा कौशल रोजगार निगम का गठन किया। इसके तहत, कर्मचारियों को पारदर्शी तरीके से नियुक्त किया गया और उनकी सेवा सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
आधिकारिक घोषणा:
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले समय में राज्य सरकार 2 लाख अतिरिक्त पक्की नौकरियां युवाओं को बिना किसी सिफारिश के पारदर्शी तरीके से देने का काम करेगी। इसके अलावा, पिछड़े वर्ग के युवाओं को 32 प्रतिशत आरक्षण देते हुए 41,376 युवाओं और सामान्य वर्ग के 53,993 युवाओं को रोजगार दिया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार विश्वविद्यालयों में 50,000 रुपये से अधिक मानदेय पर काम कर रहे कर्मचारियों की सेवाओं को सुरक्षित करने के लिए विचार कर रही है, ताकि उनके साथ कोई अन्याय न हो।
कांग्रेस विधायकों की आपत्ति:
वहीं, इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के कई विधायकों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। विधायक भुक्कल ने कौशल रोजगार निगम में भर्ती में आरक्षण प्रणाली लागू करने के मुद्दे को उठाया, जबकि गीता ने कहा कि कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा सही है, लेकिन कौशल रोजगार निगम की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। कांग्रेस ने इन मुद्दों पर गंभीर आपत्ति जताई, और विधेयक की पारित प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
विधेयक के प्रभाव और भविष्य:
यह विधेयक हरियाणा के संविदात्मक कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि अब उनके पास नौकरी की स्थिरता होगी, जो उनके परिवार और जीवन यापन के लिए महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस कदम को प्रदेश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ी पहल माना है। हरियाणा सरकार का यह कदम राज्य के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है। इसके तहत, जहां एक ओर संविदात्मक कर्मचारियों को स्थायी नौकरी मिल रही है, वहीं दूसरी ओर युवाओं के लिए पारदर्शी तरीके से नौकरी के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि, विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद, सरकार का कहना है कि उन्होंने पूरी पारदर्शिता और कर्मचारी हितों के लिए काम किया है। अब देखना यह होगा कि इस विधेयक से कर्मचारियों का जीवन कैसे प्रभावित होता है और यह राज्य के विकास की दिशा में कितना योगदान करता है।