IVF का मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है, आप कैसे पॉजिटिव रह सकते हैं? डॉक्टर ने बताए आसान तरीके
GH News January 16, 2025 11:07 AM

आज के समय में हम में से कई कपल्स IVF का लेते हैं, हालांकि इस दौरान महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर काफी असर पड़ता है, आइए डॉक्टर से जानें कैसे बचें.

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ने बांझपन यानी इनफर्टिलिटी की समस्या का समाधान करने के तरीके को बदल दिया है. यह तकनीक उन कपल्स के लिए उम्मीद की किरण बन गई है जो किसी वजह से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाते हैं. हालांकि यह प्रोसीजर कई लोगों के लिए सफल होती है, लेकिन इसके साथ जुड़ी इमोशनल जर्नी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. IVF के कई दिमागी प्रभाव भी सामने आते हैं. यह प्रभाव चिकित्सा प्रक्रिया के पहले ही शुरू हो जाते हैं और यह सामाजिक दबाव, व्यक्तिगत उम्मीद और संतान प्राप्ति की गहरी इच्छा से जुड़े होते हैं.

इनफर्टिलिटी से तकरीबन 48 मिलियन कपल्स पीड़ित-

डॉ. शीतल जिंदल (एमबीबीएस, एमडी ओबीजी, ईपीएचएम (आईआईएम कोलकाता) वरिष्ठ सलाहकार और चिकित्सा निदेशक_निदेशक मेडिकल जेनेटिक्स प्रोग्राम_जिंदल आईवीएफ चंडीगढ़) ने बताया कि दुनियाभर में बांझपन या इनफर्टिलिटी से करीब 48 मिलियन कपल्स पीड़ित हैं. इन बढ़ते मामलों के पीछे मोर्डन लाइफस्टाइल में बदलाव और पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और एंडोमेट्रियोसिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं मुख्य कारण हैं.

भारत में लगभग 15% जोड़े बांझपन या इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझते हैं, जिसे समाज में गहराई से जमी रूढ़िवादी धारणाएं और भी गंभीर बना देती हैं. इनफर्टिलिटी से जूझ रही महिलाओं को अक्सर बिना किसी आधार के दोषी ठहराया जाता है और उनकी काबिलियत को केवल बच्चों को जन्म देने तक सीमित कर दिया जाता है, चाहे इसमें चिकित्सकीय कारण क्यों न शामिल हों. इस निरंतर सामाजिक दबाव के कारण महिलाओं को लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें चिंता, अवसाद और आत्म-सम्मान में गहरी कमी शामिल है.

IVF प्रोसीजर का क्या मानसिक प्रभाव पड़ता है?

डॉ. शीतल जिंदल ने बताया कि आईवीएफ के दौरान कई हार्ड और इनवेसिव मेडिकल प्रोसीजर से गुजरना पड़ता है, जिनमें से हर एक का अपना इमोशनल इफेक्ट होता है. इसके शारीरिक पहलुओं में हार्मोनल इंजेक्शन और एग रिट्रीवल जैसे प्रोसीजर शामिल होती हैं, जो शरीर पर गहरा असर डालते हैं. इससे मूड स्विंग्स, थकान और शारीरिक असुविधा जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ये लक्षण अपने आप में चुनौतीपूर्ण होते हैं, लेकिन जब इन्हें इमोशनल स्ट्रेस के साथ जोड़ा जाता है, तो यह मेंटल प्रेशर को और ज्यादा बढ़ा देता है.

कई महिलाओं के लिए एंब्रियो ट्रांसफर और प्रेग्नेंसी टेस्ट के बीच का इंतजार जो आमतौर पर 10-14 दिनों का होता है, सबसे ज्यादा मानसिक थकावट भरा समय होता है. यह समय चिंता, डर और हर लक्षण पर बार-बार ध्यान देने से भरा होता है, जिससे किसी और चीज पर ध्यान लगाना लगभग मुश्किल हो जाता है. इस दौरान ज्यादा उम्मीद जगना और विफलता के डर से भावनात्मक उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जिससे लंबे समय तक मानसिक प्रभाव बना रह सकता है.

इसके अलावा IVF प्रोसीजर सफल होने के बाद भी कई चक्र के बाद भी कई इमोशनल पहलू बने रहते हैं. महिलाएं अक्सर गर्भावस्था की स्थिरता को लेकर चिंतित रहती हैं, जैसे गर्भपात या इससे जुड़े किसी विकार का डर. जाहिर है ऐसा होना गर्भधारण की खुशी को कम कर सकता है. दूसरी ओर IVF प्रोसीजर से दुख, असफलता और शोक की भावनाएं महसूस हो सकती हैं. इससे लंबे समय तक मानसिक समस्या जैसे अवसाद और चिंता हो सकती हैं, जो कभी-कभी प्रोसीजर के वर्षों बाद तक बनी रहती हैं. शोध से पता चलता है कि IVF से गुजरी महिलाएं दो दशक बाद तक भी इमोशनल स्ट्रेस का अनुभव करती हैं. इससे पता चलता है कि IVF का मेंटल हेल्थ पर कितना गहरा और लंबा असर हो सकता है.

IVF के दौरान पॉजिटिव कैसे रहें-

भावनात्मक चुनौतियों के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और IVF यात्रा के दौरान पॉजिटिव रहने के कई तरीके मौजूद हैं. नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं, जो ऐसी स्थिति में आपकी मदद कर सकते हैं.

  • किसी प्रोफेशनल से सलाह लें-

इस दौरान फर्टिलिटी प्रॉब्लम्स में विशेषज्ञता रखने वाले थेरेपिस्ट से परामर्श करना तनाव और चिंता का सामना करने के लिए बहुत जरूरी है. इससे आपको आईवीएफ प्रोसीजर में होने वाले भावनात्मक उतार-चढ़ाव को संभालने में मदद मिल सकती है.

  • सपोर्ट नेटवर्क से जुड़ें-

ऐसी स्थिति में उन लोगों के साथ जुड़ना जो समान चुनौतियों से गुजर रहे हैं से आपको इमोशनल सपोर्ट मिल सकता है. इससे आपको अकेलेपन की भावना को कम करने में मदद मिल सकती है और इससे आपको सही जानकारी भी मिल सकती है.

  • सेल्फ केयर है बेहद जरूरी-

अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें. बैलेंस्ड लाइफस्टाइल फॉलो करें, माइंडफुलनेस का अभ्यास करें और योग या मेडिटेशन जैसी रिलैक्स मेथड को अपनाएं.

  • सच का सामना करें-

यह समझें कि IVF एक ऐसी जर्नी है जिसमें सफलता और असफलता दोनों मिल सकते हैं. आप सफलता और असफलता दोनों के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें. इससे भावनात्मक तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है.

  • अपने पार्टनर से बातचीत करें-

अपने साथी के साथ खुलकर और ईमानदारी से बातचीत करें. अपनी भावनाएं, चिंताएं और आशाएं साझा करने से आपके रिश्ते को मजबूती मिलेगी और एक सहायक माहौल बनेगा.

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