गांव तिलोकेवाला गुरुद्वारा में संत बाबा मोहन सिंह मतवाला की 33वीं बरसी पर डाले श्री अखंड पाठ के भोग
Himachali Khabar Hindi January 18, 2025 07:42 AM


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हरियाणा के सिरसा जिले के गांव तिलोकेवाला स्थित श्री गुरुद्वारा निर्मलसर साहिब में संत बाबा मोहन सिंह मतवाला की 33वीं बरसी पर श्री अखंड पाठों के भोग डाले गए। गुरमत समागम में संतों के दीवान सजाए गए। गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार संत बाबा गुरमीत सिंह तिलोकेवाला की अध्यक्षता में समागम हुआ। समागम में संत महापुरुषों और ज्ञानी रागी व ढाडी जत्थों ने गुरुओं की वाणी का गुणगान किया। इस दौरान तख्त श्री दमदमा साहिब से आए पंज प्यारों ने अमृत का बांटा तैयार किया।

समागम में श्रद्धालुओं ने दरबार साहिब व संत के पवित्र तप स्थान पर माथा टेककर पवित्र सरोवर में डुबकी लगाई। समागम दौरान संत बाबा गुरमीत सिंह तिलोकेवाला ने संगत को बताया कि सिख धर्म को सबसे पवित्र धर्म का दर्जा दिया गया है और श्री गुरुग्रंथ साहिब के विचारों की तुलना किसी से नहीं की जा सकती।

इस ग्रंथ में सिखों के दसों गुरुओं का स्वरूप बसा हुआ है, जो श्रद्धालुओं को सचखंड के साथ जोडऩे का काम करता है। संतों के चरणों से कोई भी स्थान तीर्थ हो जाता है, इसलिए हमें संतों का सम्मान अवश्य करना चाहिए। समागम में श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर साहिब से हेड ग्रंथी केवल सिंह, हजुरी रागी जत्था भाई गुरजीत सिंह श्री दरबार साहिब, सिंह साहिब ज्ञानी हरपाल सिंह श्री फतेहगढ़ साहिब, सिंह साहिब तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो कारज कारिणी जत्थेदार, संत बाबा टेक सिंह, संत बाबा काका सिंह बूंगा मस्तुआना साहिब तलवंडी साबो, बाबा रिंपी तितरसर साहिब, संत बाबा प्रीतम सिंह मलड़ी, संत बाबा दर्शन सिंह दादू, संत बाबा गुरपाल सिंह चोरमार, संत बाबा सेवानंद केवल, संत बाबा पूर्णदास अलीकां, संत बाबा दर्शन सिंह फत्ता मलोका, संत बाबा अवतार सिंह बूंगा मस्तुआना सहित कालांवाली विधायक शीशपाल केहरवाला, भाजपा नेता जगदीश चौपड़ा, पूर्व विधायक बलकौर सिंह अनेक ग्रंथी मौजूद थे। इस मौके पर आए हुए संत महापुरुषों को बाबा गुरमीत सिंह द्वारा सिरोपा देकर सम्मानित भी किया गया। इसके अलावा पंजाब में बठिंडा जिले के तलवंडी साबो में एक प्राइवेट कंपनी की बस बेकाबू होकर नाले में गिर गई थी, जिसमें घायलों को बचाने वाले सिंघपुरा महाशा सिंह को संत बाबा गुरमीत सिंह व सिख संगत ने सिरोपा भेंट कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के समापन पर गुरु का लंगर अटूट बरताया गया।

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