supreme court : पुश्तैनी जमीन और मकान वाले जान लें सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
Himachali Khabar Hindi January 21, 2025 06:42 AM

Himachali Khabar – कई बार देखा जाता है पुश्तैनी जमीन और मकान पर मालिकाना हक (rights on ancestral land) को लेकर परिवार के अलग-अलग लोग अपना-अपना दावा जताते हैं। ऐसी स्थिति में विवाद इस कारण भी बढ़ जाता है कि, उन्हें पूरी तरह से यह नहीं पता होता कि कानूनी रूप से किस संपत्ति पर कब किसी का मालिकाना हक होता है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC decision on property) ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। इस फैसले से किसी प्रोपर्टी पर अधिकारों को भी स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।

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यह तय करना है कोर्ट का काम-

 

 

पुश्तैनी जमीन या पुश्तैनी घर वालों के लिए उच्चतम न्यायालय (supreme court news) ने फैसला सुनाते हुए खास कानूनी प्रावधान के बारे में बताया है। दरअसल, यह फैसला संपत्ति के मालिकाना अधिकार को लेकर लिया गया है। इस फैसले के मुताबिक, अगर संपत्ति के रिकॉर्ड में कोई बदलाव हुआ है या नहीं, तो भी इसका मालिकाना हक (property rights nad ownership) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। किसी संपत्ति के असली मालिक का निर्धारण सिर्फ अदालत द्वारा किया जाएगा। रिवेन्यू विभाग (Revenue Department) में दर्ज नाम वाले को ही किसी संपत्ति का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता।

 

सुप्रीम कोर्ट का यह है कहना –

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम भूमि रजिस्टर में दर्ज हो, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे उस संपत्ति का मालिकाना हक (Transfer of Property)  मिल गया है। अदालत ने बताया कि भूमि रजिस्टर में नाम सिर्फ इस उद्देश्य से डाला जाता है, जिससे ‘वित्तीय उद्देश्य’ पूरा हो सके यानी जिससे भूमि से संबंधित करों का भुगतान सही तरीके से किया जा सके। यह रिकॉर्ड केवल प्रशासनिक और वित्तीय उद्देश्यों के लिए होता है और इसे देखकर किसी के मालिक होने का दावा नहीं किया जा सकता। रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम या एंट्री दर्ज होने से ही मालिकाना हक (Ownership rights on ancestral property)नहीं मिलता, दावा करने के बाद इसे कोर्ट भी तय करता है।

 

क्या है दाखिल-खारिज का मतलब –

 

 

प्रोपर्टी के मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि किसी संपत्ति का हस्तांतरण (mutation of property) यह दिखाता है कि वह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास आ गई है। यह प्रक्रिया अधिकारियों को यह पता लगाने में मदद करती है कि टैक्स कौन भरता है। 
हालांकि, यह प्रक्रिया किसी को संपत्ति का मालिक नहीं बना देती। ‘दाखिल-खारिज’ के नाम से जानी जाने वाली हस्तांतरण व नामांतरण प्रक्रिया (mutation rule of property) अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से होती है। जमीन खरीदने व बेचने से पहले ‘दाखिल-खारिज’ की जरूर जांच कर लें। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो समय-समय पर अपडेट होती रहती है। इसके अपडेट होने के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए।

 

महत्वपूर्ण दस्तावेजों को रखना होगा ध्यान में –

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संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों (property documents)को ध्यान से संभालना बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस बात पर जोर देता है कि अगर कोई विवाद हो, तो पहले अपने नाम को संपत्ति के रिकॉर्ड (Mutation record) में सही करवा लेना चाहिए। 

इस फैसले से उन लोगों को मदद मिलेगी, जिनका नाम रिकॉर्ड में सही नहीं है, लेकिन इसे ठीक न करने से संपत्ति के मामले में हक होने को लेकर समय लग सकता है। अगर किसी जमीन का नामांतरण (land transfer rules)करवाया है तो यह भी जांच लें कि ये रिवेन्यू विभाग में अपडेट हो गया है या नहीं।

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