Chittorgarh Fort Rajasthan: अगर आपने अभी तक चित्तौड़गढ़ किला नहीं घूमा है तो आप यहां की सैर कर सकते है. यह किला टूरिस्टों के बीच बेहद प्रसिद्ध है और दुनियाभर से टूरिस्ट यहां घूमने के लिए आते हैं. यह किला 7वीं शताब्दी का है. इस किले का निर्माण चित्रांगद मौर्य ने करवाया था. किले का इतिहास बेहद समृद्ध है. यह किला जयपुर से 310 किलोमीटर दूर है.
चित्तौड़गढ़ किला मीरा बाई से भी जुड़ा है. यहां मीरा बाई को समर्पित एक मंदिर भी है. मान्यता के अनुसार, एक बार मीरा के देवर ने उनको मारने की कोशिश की लेकिन भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से वे खतरनाक जहर खाकर भी जीवित रहीं. यह किला नदी के पास एक पहाड़ी पर बना है. यह किला सुबह 9 से शाम 6 बजे तक टूरिस्टों के लिए खुला रहता है. टूरिस्ट यहां लाइट एंड साउंड शो देख सकते हैं. इस किले में प्रवेश और लाइट एंड साउंड शो देखने के लिए टूरिस्टों को टिकट लेना होगा.
यह किला 700 एकड़ में फैला है और बेराच नदी के किनारे बसा है. इस किले को यूनिस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया है. यही वह किला है जहां रानी पद्मावती ने अपनी दासियों के साथ जौहर किया था. यह जौहर राजा रतनसिंह के शासन काल में हुआ था. अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के वक्त पद्मावती ने 16 हजार दासियों के साथ चित्तौड़गढ़ किले में अग्नि समाधी ले ली थी. मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी को युद्ध में हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया था. यह किला अब खंडहर हो चुका है. आइए इस किले के बारे में 10 बातें जानते हैं.
इस किले के बारे में कहा जाता है कि ‘गढ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढैया ‘. चित्तौड़गढ़ किले में 7 दरवाजे हैं. ये पैदल पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल है. इस किले में मंदिर, महल और जलाशय मौजूद है. इस किले में 113 मंदिर, 14 पानी के कुंड हैं. साल 2013 में इसे यूनेस्को ने इस किले को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया था.