जनता दल (यूनाइटेड) की मणिपुर इकाई ने बीजेपी के नेतृत्व वाली बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि, इस मामले में तब ट्विस्ट आ गया जब जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने सरकार से समर्थन वापस लेने से इनकार करते हुए पत्र जारी करने वाले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को ही पद से हटा दिया। साथ ही पार्टी ने कहा कि मणिपुर में एनडीए सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा।
इससे पहले मणिपुर जेडीयू अध्यक्ष ने पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को दी थी। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष के. बीरेन सिंह ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि जेडी(यू) की मणिपुर इकाई मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का समर्थन नहीं करती है, और हमारे एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर को सदन में विपक्षी विधायक के रूप में माना जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के एकमात्र विधायक मोहम्मद अब्दुल नासिर अब विपक्षी खेमे में बैठेंगे।
हालांकि, इसकी खबर मिलते ही जेडी(यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, "यह भ्रामक और निराधार है। पार्टी ने इसका संज्ञान लिया है और पार्टी की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है। हमने एनडीए का समर्थन किया है और मणिपुर में एनडीए सरकार को हमारा समर्थन भविष्य में भी जारी रहेगा। मणिपुर इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व के साथ कोई संवाद नहीं किया, उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। मणिपुर जेडीयू प्रमुख ने खुद ही पत्र लिखा था। इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है और उन्हें पद से मुक्त कर दिया गया है।"
हालांकि, मणिपुर जेडीयू के इस कदम का बीजेपी की बीरेन सिंह सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि 60 सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास 37 विधायक हैं। इसके अलावा, बीजेपी को नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। यहां बता दें कि मणिपुर करीब पौने दो साल से हिंसा की आग में जल रही है। राज्य में जातीय हिंसा की आग अभी तक ठंडी नहीं हुई है।