जम्मू, 24 जनवरी . हाल ही में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) की सदस्य नियुक्त की गईं रूबल नागी विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के बारे में अपनी टिप्पणी के लिए आलोचनाओं का शिकार हो गई हैं. भाजपा प्रवक्ता और पूर्व एमएलसी गिरधारी लाल रैना ने उनके बयान की आलोचना करते हुए इसे गैर-जिम्मेदाराना और अनुचित बताया और उन पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का आरोप लगाया. निराशा व्यक्त करते हुए रैना ने कहा कि नागी की टिप्पणी जम्मू-कश्मीर की स्थिति की समझ की कमी और एनसीएम की भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में अज्ञानता को दर्शाती है. उन्होंने कहा उनके बयान ने न केवल विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय को आहत किया है बल्कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की विश्वसनीयता को भी कम किया है.
रैना ने भारत में अल्पसंख्यकों के बारे में नागी के ज्ञान पर भी सवाल उठाया और अल्पसंख्यक सूची में शामिल होने के लिए प्रयासरत समुदायों, विशेष रूप से यूएनएचसीआर द्वारा परिभाषित रिवर्स अल्पसंख्यकों के बारे में उनकी जागरूकता की कमी को उजागर किया. उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों, खासकर जम्मू-कश्मीर में, को अभी भी घोषित अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता नहीं दी गई है और वे राष्ट्रीय स्तर के अल्पसंख्यकों के लिए 15 सूत्री कार्यक्रम के तहत लाभ के लिए अपात्र हैं.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की वापसी पर टिप्पणी करने से पहले नागी को कश्मीर में समुदाय के इलाकों और जम्मू में ट्रांजिट कैंपों का दौरा करना चाहिए था ताकि उनकी दुर्दशा को समझा जा सके. रैना ने कहा उन्हें कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा झेले जा रहे अत्याचारों, जिनमें उनका जबरन पलायन, सांस्कृतिक प्रतीकों का विनाश और उनकी संपत्तियों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर लगातार अतिक्रमण शामिल है, के बारे में खुद को शिक्षित करना चाहिए था.
भाजपा नेता ने जोर देकर कहा कि नागी की टिप्पणियों ने विस्थापित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है जो सामूहिक रूप से उनकी टिप्पणियों की निंदा करते हैं. उन्होंने नागी से आग्रह किया कि वे जिन मुद्दों पर बात करती हैं उनके बारे में अपने ज्ञान को अपडेट करें और कश्मीरी पंडित समुदाय के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित करें.
/ राहुल शर्मा