नव दुर्गाओं और दस महाविद्याओं का महत्व
नव दुर्गाओं के साथ-साथ दस महाविद्याओं को भी विशेष महत्व दिया गया है। इन्हें दो प्रमुख कुलों में वर्गीकृत किया गया है: काली कुल और श्री कुल। काली कुल में मां काली, मां तारा और मां भुवनेश्वरी शामिल हैं, जबकि श्री कुल में मां बगलामुखी, मां कमला, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर सुंदरी, मां त्रिपुर भैरवी, मां मातंगी और मां धूमावती आती हैं। इन नव दुर्गाओं और महाविद्याओं की विशेष पूजा का समय नवरात्र होता है, जो साल में चार बार—माघ, चैत्र, आषाढ़, और अश्विन—मनाए जाते हैं। माघ और आषाढ़ में आने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
दस महाविद्याओं की शक्तियां
गुप्त नवरात्र की महिमा
गुप्त नवरात्र की महिमा को आम लोगों तक पहुंचाने का कार्य ऋषि शृंगी ने किया। एक बार ऋषि शृंगी अपने भक्तों के साथ आश्रम में धर्म चर्चा कर रहे थे, तभी एक दुखी महिला उनके पास आई। उसने बताया कि उसके पति के अनीतिपूर्ण कार्यों के कारण घर में कलह बनी रहती है। ऋषि शृंगी ने उसे गुप्त नवरात्र की महिमा बताई और दस महाविद्याओं की उपासना करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे उसे अवश्य लाभ होगा। तभी से गुप्त नवरात्र का प्रचलन गृहस्थों में होने लगा। इस नवरात्र की साधना को गुप्त रखा जाता है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
उपसंहार
गुप्त नवरात्र और दस महाविद्याओं की उपासना ने भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। यह साधना न केवल भक्तों को मानसिक और भौतिक सुख प्रदान करती है, बल्कि जीवन में संतुलन और समृद्धि भी लाती है।