क्या यु-टर्न मारने की फिराक में हैं उद्धव ठाकरे? भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद बदले सुर
Newstracklive Hindi January 31, 2025 07:42 PM

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत, जो कुछ दिन पहले तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर तीखे हमले कर रहे थे, अब उसी पार्टी के नेताओं के लिए नरम होते नजर आ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि बीजेपी के कई नेता शिवसेना (UBT) के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) में भी असमंजस की स्थिति बन गई है।  

सवाल यह उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे एक बार फिर से राजनीतिक पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं? यह चर्चा तब और तेज हो गई जब एक शादी समारोह में बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल और उद्धव ठाकरे की मुलाकात हुई। इसके बाद संजय राउत ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के समर्थक रहे हैं और आज भी कई बीजेपी नेता यही चाहते हैं। संजय राउत ने कहा, "चंद्रकांत पाटिल हमारे मित्र हैं। वह हमेशा से भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पक्ष में रहे हैं। अब बीजेपी में कई बाहरी लोग आ गए हैं, जिन्हें 25 साल पुराने गठबंधन की अहमियत नहीं पता। इनका न तो बीजेपी से कोई लेना-देना है और न ही हिंदुत्व से।"  

राउत ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए यह भी कहा कि बीजेपी में चंद्रकांत पाटिल की तरह सोचने वाले कई और लोग भी हैं। वे बोले, "हम MVA में गए क्योंकि बीजेपी के कुछ लोगों ने हमें मजबूर किया। हमारी असली शिवसेना को धोखा देकर जो 'डुप्लिकेट शिवसेना' बनाई गई, उसे बीजेपी ने समर्थन दिया। हमारा हक छीनकर एकनाथ शिंदे को दे दिया गया।"  

अब बड़ा सवाल यह है कि अचानक संजय राउत को पुराने गठबंधन की याद क्यों आ रही है? कुछ समय पहले तक वह मोदी सरकार और अमित शाह पर जमकर हमला बोल रहे थे, लेकिन अब उनका रुख नर्म होता जा रहा है। जब संजय राउत से बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अभी कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी के भीतर कई नेता चाहते हैं कि दोनों पार्टियां फिर से साथ आएं।  

राउत ने कहा कि "हम इस पर लगातार चर्चा कर रहे हैं, लेकिन अभी ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपनाए हुए हैं। हमें पहले से पता है कि आगे क्या होगा। मुझे संदेह है कि एकनाथ शिंदे कितने दिनों तक बीजेपी के साथ टिक पाएंगे। वह केवल सत्ता और पैसे के बल पर वहां हैं।" इसी मुद्दे पर विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे का भी बयान आया है। उन्होंने कहा, "बीजेपी और शिवसेना के कई नेता मानते हैं कि दोनों को साथ रहना चाहिए क्योंकि यह एक स्वाभाविक गठबंधन है। हालांकि, इस पर कोई भी अंतिम फैसला उद्धव ठाकरे ही लेंगे।" 

सवाल यह है कि अगर बीजेपी में शिवसेना (UBT) के साथ गठबंधन को लेकर इतनी सहानुभूति है, तो क्या उद्धव ठाकरे एक बार फिर से राजनीतिक पलटी मारने वाले हैं? उन्होंने 2019 में बीजेपी का साथ छोड़कर अपनी विचारधारा के विरुद्ध कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया था। अब जब संजय राउत जैसे नेताओं के बयान बदल रहे हैं, तो क्या यह संकेत है कि उद्धव ठाकरे की पार्टी फिर से अपने पुराने साथी बीजेपी के करीब जा रही है?  

राजनीति में कोई भी संभावना को नकारा नहीं जा सकता। संजय राउत के बदले हुए सुर और बीजेपी नेताओं से मेलजोल इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले दिनों में कोई बड़ा उलटफेर हो सकता है। अब देखना होगा कि उद्धव ठाकरे इस बार क्या फैसला लेते हैं – MVA के साथ रहते हैं या फिर पुरानी राह पर लौटने का मन बना रहे हैं।

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