डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, ट्रंप की टैरिफ नीति से बढ़ी वैश्विक हलचल | CliqExplainer
Cliq India February 03, 2025 11:42 PM

भारतीय रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में 67 पैसे गिरकर 87.29 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा, मैक्सिको और चीन पर नए टैरिफ लगाए जाने के बाद वैश्विक बाजारों में भारी हलचल देखी गई, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं पर दबाव बढ़ा और निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर भागने लगे।

ट्रंप के फैसले के तहत कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है, जिससे विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापक अनिश्चितता पैदा हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार युद्ध की शुरुआत साबित हो सकता है, जिसका व्यापक आर्थिक प्रभाव पड़ेगा। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 87.00 पर खुला लेकिन जल्द ही 87.29 तक लुढ़क गया। शुक्रवार को रुपया 86.62 पर स्थिर बंद हुआ था।

मुद्रा बाजार के जानकारों के अनुसार, रुपये में गिरावट का मुख्य कारण विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डॉलर की मजबूती है। कच्चे तेल के आयातकों की ओर से डॉलर की मांग बनी हुई है, जिससे रुपया दबाव में है। व्यापार युद्ध की चिंताओं के कारण डॉलर में तेजी आई और यह 109.50 के स्तर तक पहुंच गया। वैश्विक विदेशी मुद्रा बाजार पर इसके प्रभाव साफ दिखे, जहां यूरो 1.0224, पाउंड 1.2261 और जापानी येन 155.54 के स्तर पर आ गए।

एशियाई मुद्राओं में भी भारी गिरावट दर्ज की गई, जहां चीनी युआन 7.3551, इंडोनेशियाई रुपैया 16,448 और दक्षिण कोरियाई वॉन 1,470 पर पहुंच गए। डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को मापता है, 1.30 प्रतिशत की बढ़त के साथ 109.77 पर पहुंच गया। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता के कारण निवेशक सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।

इस बीच, वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.71 प्रतिशत बढ़कर 76.21 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिससे आयात आधारित अर्थव्यवस्थाओं पर महंगाई का दबाव और बढ़ने की आशंका है। रुपये में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत के व्यापार घाटे और चालू खाता संतुलन पर असर पड़ सकता है, जिससे आर्थिक नीति निर्धारकों के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

घरेलू शेयर बाजार भी वैश्विक संकेतों के अनुरूप गिरावट में रहे। बीएसई सेंसेक्स 575.89 अंकों की गिरावट के साथ 76,930.07 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 206.40 अंकों की गिरावट के साथ 23,275.75 पर आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शनिवार को शुद्ध आधार पर 1,327.09 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की, जिससे बाजार में बिकवाली का दबाव और बढ़ गया।

रुपये में जारी गिरावट के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप की संभावना बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक डॉलर की मांग को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा सकता है, जबकि दिन के लिए रुपये का दायरा 86.65 से 87.00 के बीच रहने का अनुमान है। हालांकि, वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए रुपये पर दबाव निकट भविष्य में भी बना रह सकता है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हाल ही में 5.574 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे यह 629.557 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, इससे पहले 1.888 अरब डॉलर की गिरावट से भंडार 623.983 अरब डॉलर तक आ गया था। हाल के उतार-चढ़ाव का कारण RBI की ओर से किए गए बाजार हस्तक्षेप और मूल्यांकन परिवर्तन बताए जा रहे हैं। केंद्रीय बैंक रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन वैश्विक आर्थिक माहौल को देखते हुए मुद्रा स्थिरीकरण की चुनौती और बढ़ सकती है।

व्यापार तनाव और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच अब बाजार की नजरें नीति निर्माताओं और केंद्रीय बैंकों की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। अमेरिकी व्यापार नीति, फेडरल रिजर्व की मौद्रिक रणनीति और वैश्विक जोखिम धारणा रुपये की आगे की दिशा तय करेंगे। ऐसे में निवेशकों और कारोबारी जगत को बाजार में जारी अस्थिरता से सतर्क रहने की जरूरत होगी।

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