भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस हफ्ते अपनी मौद्रिक नीति बैठक में प्रमुख ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह बजट में किए गए खपत बढ़ाने के उपायों को और मजबूती देगा। हालांकि, रुपये में गिरावट अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति (रिटेल इनफ्लेशन) पूरे साल RBI द्वारा तय किए गए 2-6% के दायरे में बनी रही है। ऐसे में, केंद्रीय बैंक धीमी खपत से प्रभावित आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5% पर स्थिरRBI ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखा है। इससे पहले, आखिरी बार ब्याज दर में कटौती कोविड महामारी के दौरान (मई 2020) की गई थी। इसके बाद, RBI ने धीरे-धीरे ब्याज दरें बढ़ाते हुए इसे 6.5% तक पहुंचा दिया।
इस बार की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक की अध्यक्षता नए गवर्नर संजय मल्होत्रा करेंगे, जो बुधवार से शुरू हो रही है। छह सदस्यीय समिति अपनी नीति संबंधी फैसलों की घोषणा शुक्रवार, 7 फरवरी को करेगी।
विशेषज्ञों की राय नीतिगत दर में कटौती की संभावनाबैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि इस बार नीतिगत दर में कटौती की संभावना बनी हुई है। उनके अनुसार, इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं:
RBI ने 27 जनवरी को बैंकों में 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के उपायों की घोषणा की थी।
आर्थिक वृद्धि पर प्रभावसबनवीस का कहना है कि RBI आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में बदलाव कर सकता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.4% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या RBI अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कोई नया अनुमान पेश करेगा। हालांकि, आमतौर पर इसकी घोषणा अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में की जाती है।
Icra की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर की रायIcra की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का मानना है कि केंद्रीय बजट में किए गए राजकोषीय प्रोत्साहनों का मुद्रास्फीति (महंगाई) पर कोई बड़ा असर नहीं होगा। इसलिए, फरवरी 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती होने की संभावना अधिक है।
हालांकि, अगर इस हफ्ते के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये की क्रॉस रेट और अधिक कमजोर होती है, तो ब्याज दर में कटौती अप्रैल 2025 तक टल सकती है। सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 55 पैसे गिरकर 87.17 (प्रोविजनल) प्रति डॉलर हो गया, जो चिंता का विषय बना हुआ है।