tenancy law : किराएदारों को मिले 6 कानूनी अधिकार, अब मकान मालिक की नहीं चलेगी मनमानी
Himachali Khabar Hindi February 04, 2025 06:42 AM

Himachali Khabar – (Tenant rights in law)। किरायेदार और मकान मालिक के बीच आमतौर पर विवाद होते रहते हैं और अधिकतर मामलों में मकान मालिक की जिद या मनमानी की वजह से विवाद उत्पन्न होते हैं। किरायेदार और मकान मालिकों के बीच विवादों को देखते हुए कानून में खासतौर से नए प्रावधान किए गए हैं, जिनके तहत किरायेदारों के हितों की रक्षा के लिए विशेष अधिकार (Tenant’s legal rights) प्रदान किए गए हैं। अब मकान मालिकों की किरायेदारों पर मर्जी नहीं चलेगी और ऐसे विवादों पर अंकुश भी लगेगा। आइए जानते हैं, वे कौन से कानूनी अधिकार हैं जो किरायेदारों को मिले हैं।

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किराएदारों के लिए मुख्य कानून –

केंद्रीय किराया नियंत्रण अधिनियम (Central Rent Control Act) का कानून सन् 1948 में बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य किरायेदार और मकान मालिक दोनों के बीच न्यायसंगत संबंध बनाना था। इस नियम के तहत दोनों पक्षों के अधिकारों (kirayedar ke adhikar) की रक्षा की जाती है, ताकि कोई भी दूसरे का शोषण न कर सके। यह कानून संपत्तियों के किराए पर देने के संबंध में कुछ खास दिशा-निर्देश भी देता है।

हालांकि, हर राज्य में इसके अलग-अलग नियम हो सकते हैं, लेकिन अंतर बहुत ज्यादा नहीं होता। अगर आप किसी स्थान पर किराए पर रह रहे हैं, तो बेहतर है कि आप एक लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करें ताकि भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके।

1.कब नहीं किया जा सकता किरायेदार को बाहर –

अगर किरायेदार को बिना किसी सही वजह के किराए के घर से बाहर किया जाता है, तो यह कानून के खिलाफ है और आप इस पर एक्शन ले सकते हैं। मकान मालिक किसी किरायेदार को किसी ठोस कारण जैसे कि 2 माह तक किराए का भुगतान न करना, प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल या नुकसान पहुंचाने पर ही मकान या प्रापर्टी से बाहर कर सकता है। 

इसके अलावा, मालिक की ओर से कम से कम 15 दिन पहले नोटिस देना (tenants rights notice time period) जरूरी होता है। यह नियम इस बात को सुनिश्चित करता है कि बिना किसी सही कारण के किरायेदार को घर से बाहर नहीं कर सकता है।

2. किरायेदार मकान मालिक से मांग सकता है ये सुविधाएं –

जब आप किसी किराए के घर में रहते हैं, तो आपको कुछ जरूरी सुविधाओं की उम्मीद करनी चाहिए जैसे पानी की सप्लाई, बिजली और वाहन पार्किंग। ये सुविधाएं आमतौर पर मकान मालिक को देनी होती हैं और अगर वह इनसे इनकार करता है, तो वह कानूनी (kirayedar ke mkan par hak) तौर पर गलत हो सकता है। आप इन सुविधाओं के लिए मकान मालिक से बात कर सकते हैं और अगर वह इनसे मना करते हैं, तो आप संबंधित अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं। मकान मालिक को इन आवश्यक सुविधाओं को मुहैया करना जरूरी है।

3. किराए में बढ़ौतरी करने की शर्तें –

किसी भी घर के मालिक को अपने किरायेदार से मनमाना शुल्क नहीं लिया जा सकता। यदि वह किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे 3 महीने पहले नोटिस (rent notice time period) देना आवश्यक है। इसके अलावा, वह जो कीमत तय करता है, वह बाजार में चल रहे रेट और संपत्ति के मूल्य घटने को ध्यान में रखते हुए होनी चाहिए। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि किरायेदार को उचित समय और दरों पर जानकारी मिले और उसे किसी भी तरह की अनावश्यक दिक्कत का सामना न करना पड़े।

4.किरायेदार की मृत्यु होने पर परिवार को अधिकार –

जब कोई व्यक्ति किराए पर रहता है और उसकी अचानक मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को बिना कारण घर से बाहर नहीं किया जा सकता। मकान मालिक को अधिकार है कि वह मृतक किराएदार के परिवार से नया अनुबंध करे और घर में रहने की अनुमति दे, यदि शेष अवधि अभी बची हो। यह नियम परिवार के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें असमय बाहर नहीं जाने देता। मकान मालिक (makan maalik ke adhikar) और परिवार के बीच इस तरह के समझौते से सभी के अधिकारों की रक्षा होती है।

5. मकान की देखभाल और सुरक्षा राशि-

मकान के उचित देखभाल के लिए मालिक को खुद खर्च करना होता है। इसके साथ ही, किराए में पानी और बिजली के शुल्क का विवरण भी किया जाता है। मकान मालिक किराएदार (tenant’s property rights) से एक सुरक्षा राशि भी लेते हैं, जो घर छोड़ने के बाद एक महीने के अंदर वापस की जाती है या फिर पुराने बकाया में समायोजित कर दी जाती है। इस प्रक्रिया से किराएदार और मालिक दोनों के अधिकारों का ध्यान रखा जाता है और किसी भी तरह की समस्याएं सामने नहीं आतीं।

6. किराएदार की निजता और सुरक्षा –

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जब  किरायेदार और मकान मालिक दोनों के बीच एक समझौता हो जाता है, तो मालिक को किराएदार के कमरे में बिना अनुमति के घुसने का अधिकार नहीं होता है। मकान मालिक (landlord rights) को किरायेदार को परेशान करने का हक नहीं है। अगर किसी कारण से मालिक को किराएदार के कमरे में जाना हो, तो उसे पहले किरायेदार से इजाजत लेनी होगी। यह नियम (tenant rights in law) दोनों पक्षों की सुरक्षा और शांति को बनाए रखने के लिए है, ताकि किरायेदार को बिना किसी दखल के आराम से रहने का मौका मिले।

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