हार्ट अटैक आने पर पानी पिलाने से क्यों मना करते हैं डॉक्टर? जानिए इसका कारण
GH News February 06, 2025 12:07 PM

हार्ट अटैक एक खतरनाक स्थिति है, ऐसे में दिल का दौरा पड़ने पर डॉक्टर हमेसा पानी पिलाने को मना करते हैं, आखिर ऐसा क्यों है आइए जानते हैं.

हार्ट अटैक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें समय पर सही कदम उठाना बहुत जरूरी होता है. अक्सर लोग घबराहट में हार्ट अटैक के मरीज को पानी पिलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन डॉक्टर ऐसा करने से मना करते हैं. आइए डॉ रोहित गोयल ( प्रिंसिपल कंसल्टेंट- कार्डियोलोजी, मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम) से जानते हैं कि आखिर इसके पीछे की क्या वजह है.

  • हार्ट अटैक में शरीर की कंडीशन –

डॉ रोहित गोयल ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है, तो उसका दिल शरीर को सही तरीके से ब्लड पंप नहीं कर पाता. इस कारण से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मरीज को सीने में तेज दर्द, सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी और घबराहट महसूस होती है. इस स्थिति में डॉक्टरों की सलाह पर ही कोई भी कदम उठाना जरूरी होता है.

पानी पिलाने से क्या नुकसान हो सकता है?

  • 1. हार्ट पर ज्यादा दबाव: हार्ट अटैक के दौरान दिल पहले से ही बहुत कमजोर होता है. अगर मरीज को पानी पिलाया जाए, तो यह पेट में जाकर दिल पर ज्यादा दबाव डाल सकता है, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है.
  • 2. गला बंद होने का खतरा: हार्ट अटैक में कई बार मरीज बेहोश हो सकता है या उसकी प्रतिक्रिया धीमी हो सकती है. अगर ऐसे में उसे पानी पिलाया जाए, तो पानी गलत नली में जा सकता है, जिससे दम घुटने (choking) का खतरा बढ़ जाता है.
  • 3. उल्टी और दम घुटने की संभावना: कुछ मरीजों को हार्ट अटैक के दौरान उल्टी आ सकती है, अगर पानी पिलाया जाए, तो उल्टी का रिस्क बढ़ सकता है और मरीज को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है.

इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?

  • सबसे पहले जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास पहुंचना चाहिए.
  • मरीज को शांत रखें और उसे ज्यादा हिलने-डुलने न दें
  • अगर मरीज होश में है और सांस ले रहा है, तो उसे आराम से बैठाएं
  • मरीज को कसकर फिट कपड़े पहनाए हुए हैं, तो उन्हें थोड़ा ढीला कर दें ताकि सांस लेने में आसानी हो
  • अगर मरीज बेहोश हो जाए और सांस न ले रहा हो, तो CPR (सीपीआर) शुरू करें

हार्ट अटैक के दौरान मरीज को पानी पिलाने से स्थिति बिगड़ सकती है. इसलिए, घबराने की बजाय, सही प्राथमिक उपचार करें और तुरंत मेडिकल हेल्प लें. समय पर सही कदम उठाने से मरीज की जान बच सकती है.

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