अमेरिका में हेलिओस से दिखाई ताकत, जानें दुनिया के कितने देशों के पास ऐसे लेजर हथियार
Himachali Khabar Hindi February 06, 2025 10:42 PM

ड्रोन हमले से निपटने के लिए विशेष रूप से हेलिओस को डिजाइन किया गया है.

अमेरिका ने युद्धपोत से ड्रोन को नष्ट करने वाले लेजर हथियार को फायर करते तस्वीरें जारी की हैं. इस हेलिओस (HELIOS) लेजर सिस्टम नामक हथियार को यूएसएस प्रीबल अर्ले बर्क क्लास विध्वंसक युद्धपोत से फायर किया गया है. इसको ड्रोन से हमले के खतरे से निपटने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है. इस लेजर हथियार से कम खर्च में दुश्मन ड्रोन को नष्ट किया जा सकता है. आइए जान लेते हैं कि दुनिया के कितने देशों के पास लेजर हथियार हैं और उनकी क्या खूबियां हैं.

कभी अमेरिका के ही अल्ट्राशॉर्ट टैक्टिकल पल्स लेजर को दुनिया भर में इस्तेमाल किए जा रहे सभी लेजर हथियारों से लाखों गुना शक्तिशाली माना जाता था. इसके बाद अमेरिकी सेना ने एक नए तरह के लेजर हथियार पर काम करना शुरू किया, जिसका नाम था लेजर पल्स्ड टैक्टिकल अल्ट्राशॉर्ट. इसे खासतौर से सेना के लिए तैयार किया गया था. इस नए लेजर हथियार में पल्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया. इसमें टेरावाट पल्स का इस्तेमाल किया गया जो 200 फेमटोसेकंड तक चलता है. एक फेमटोसेकंड 0.000000000000001 सेकंड के बराबर होता है. इससे दुश्मनों के ड्रोन को नष्ट करना आसान हो गया.

इतनी है नए लेजर हथियार की क्षमता

इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए अब अमेरिका ने हाई एनर्जी लेजर विद इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल डैजलर एंड सर्विलांस (हेलिओस) नाम के लेजर हथियार का प्रदर्शन किया है. यूएस सेंटर फॉर काउंटरमेजर्स के अनुसार फोटो में दिख रहा है कि अमेरिका के हेलिओस ने एक ड्रोन को मार गिराया. इस हथियार को लॉकहीड मार्टिन ने अमेरिकी नौसेना के लिए विकसित किया है. हेलिओस फिलहाल 60 किलोवाट से अधिक की शक्ति पर काम करता है. भविष्य में यह 120 किलोवाट से अधिक शक्ति पर विस्फोट करने में सक्षम होगा. इसके इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल डैजलर दुश्मन को अस्थायी रूप से अंधा कर सकते हैं. इसके अलावा यह दुश्मन के जहाजों के मॉनीटरिंग सेंसर को भी निष्क्रिय कर सकता है. इससे रात में निगरानी की जा सकती है.

ऐसा है हेलिओस चीन के पास ऐसा लेजर हथियार

पिछले साल अगस्त (अगस्त 2024) में चीन ने भी अपने एक युद्धपोत पर लेजर हथियार लगाया था. चीन की नौसेना ने अपने युद्धपोत (टाइप 071) की मरम्मत के बाद नया लेजर हथियार इसका हिस्सा बनाया था. इसके पहले चीन ने जमीन पर लेजर हथियारों का इस्तेमाल किया था.

चीन का यह लेजर हथियार अमेरिकी नौसेना के सैन एंटोनियो क्लास लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक पर लगाए गए लेजर हथियार जैसा ही है. अमेरिका के जहाज पर लगे हथियार का नाम लेजर वेपन सिस्टम डेमोंस्ट्रेटर एमके 2 Mod 0 है. चीन का सिस्टम युद्धपोतों और दूसरे जहाजों को छोटी नावों के झुंड और मानव रहित ड्रोन से सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है.

इन देशों के पास भी लेजर वेपन

दक्षिण कोरिया और इजरायल की सेनाएं लंबे समय से खतरनाक लेजर हथियारों से लैस होने का दावा करती रही हैं. यूके के पास एक महाविनाशक लेजर हथियार है, जिसका नाम ड्रैगन फायर है. इस हथियार को दुश्मनों के ड्रोन और एयरक्राफ्ट को तबाह करने के सस्ते विकल्प के रूप में तैयार किया गया था.इसको एक बख्तरबंद वाहन के जरिए एक हाई एनर्जी लेजर वेपन से फायर किया गया था. इसमें दर्जनों ड्रोन को एक साथ खत्म करने के लिए इंफ्रारेड किरणों का इस्तेमाल किया गया है. ब्रिटेन के इस ड्रैगन फायर महाविनाशक, अत्याधुनिक लेजर डायरेक्टेड एनर्जी वेपन के साल 2027 तक सेवा में लिए जाने की उम्मीद जताई गई है.

यूक्रेन ने भी लेजर वेपन होने का किया खुलासा

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लेजर वेपन रखने वाला यूक्रेन दुनिया का सबसे नया देश बन गया है. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि यूक्रेन ने एक ऐसा लेजर हथियार हासिल किया है, जो दुश्मनों के कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन और विमानों को मारने में सक्षम है.

यूक्रेनी सेना के मानव रहित सिस्टम फोर्स के कमांडर कर्नल वादिम सुखारेवस्की ने भी खुलासा किया था कि उनके देश के पास ट्रायज़ुब नाम का लेजर हथियार है. यह प्रकाश की गति से दो किमी से भी ज्यादा ऊंचाई पर उड़ते विमान और ड्रोन को भेद सकता है. यह भी दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन को लेजर वेपन वास्तव में ब्रिटेन से ही मिला है.

हालांकि, रूस भी इस मामले में पीछे नहीं है. उसके पास पेरेसवेट नामक लेजर वेपन है,जिसका नाम अजेक्जेंडर पेरेसवेट के नाम पर रखा गया है. इसका वायु रक्षा और उपग्रह विरोधी युद्ध में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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