अनजान अपराधी होने पर पुलिस सुनिश्चत करे पहचान परेड-हाईकोर्ट
Udaipur Kiran Hindi February 07, 2025 07:42 AM

जयपुर, 6 फ़रवरी . राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म से जुडे मामले में आरोपिताें को दोषमुक्त करने हुए कहा है कि कई बार जांच एजेंसी आमजन को शांत करने के लिए निर्दोष व्यक्ति को फंसाकर शर्मनाक स्थिति से बचती है. प्रकरण में भी पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकडने में विफल रही है. यदि पुलिस ने आरोपिताें की पहचान परेड कराई होती तो स्थिति अलग हो सकती थी. ऐसे में जांच एजेन्सी से अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसे मामलों में पहचान परेड कराए. इसके साथ ही अदालत ने डीजीपी और गृह सचिव को कहा है कि घटना से जुड़े अपराधी पीडिता के लिए अनजान होने पर उसकी पहचान परेड सुनिश्चित कराई जाए. जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश मदन व दो अन्य की ओर से दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि पहचान परेड अपराध जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें लापरवाही होने पर निर्दोष व्यक्ति को सजा मिलने या असली अपराधी के बच निकलने का खतरा रहता है.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रिनेश गुप्ता ने कहा कि मामले में प्रकरण की पीडिता ने अपने बयानों में कहा है कि वह अपीलार्थियों को उनके नाम से नहीं जानती थी. परिजनों के कहने पर उसने नाम बताए थे. ऐसे में पुलिस को आरोपिताें की पहचान परेड करानी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने पहचान परेड नहीं कराई. ऐसे में निचली अदालत ने उन्हें गलत तरीके से दंडित किया है. इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द कर उन्हें बरी किया जाए.

मामले के अनुसार पीडिता ने 23 मई 1989 को चाकसू थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा था कि उसका पति नित्यकर्म के लिए गया था. इस दौरान तीन लोगों ने आकर उसके साथ दुष्कर्म किया. मामले में आरोप पत्र पेश होने के बाद निचली अदालत ने अपीलार्थियों को दस साल की सजा और जुर्माने से दंडित किया था. अदालत के इस आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

—————

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.