बदल रही है प्रजातंत्र की परिभाषा, बढ़ता जा रहा है निरंकुश सत्ता का समर्थन!
Navjivan Hindi February 09, 2025 01:42 PM

भारत समेत दुनियाभर में प्रजातंत्र पर जनता का भरोसा बढ़ता जा रहा है और इन सबके बीच लगभग हरेक देश में राष्ट्रवादी कट्टरपंथी ताकतें या तो सत्ता तक पहुँच रही हैं या फिर वर्तमान सत्ता को विस्थापित करने की कगार पर हैं। दरअसल अब प्रजातंत्र की परिभाषा बदल रही है, अब प्रजातंत्र का सहारा लेकर निरंकुश शासक सत्ता में पहुँच रहे हैं और उन्हें ही जनता का समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया के इस दौर में कट्टरपंथी ताकतें सोशल मीडिया पर भ्रमजाल और बेहिसाब झूठ फैला कर सत्ता तक पहुँच रही हैं। हरेक सोशल मीडिया दुनिया के सर्वाधिक संपन्न लोगों द्वारा चलाया जा रहा है और इन्हें अपनी संपन्नता बरकरार रखने के लिए प्रभावी प्रजातंत्र की नहीं बल्कि सत्ता में निरंकुश कठपुतलियों की जरूरत है। 

यूनाइटेड किंगडम में युवाओं के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 13 से 27 वर्ष के बीच के 73 प्रतिशत युवा प्रजातंत्र को बेहतर व्यवस्था और 26 प्रतिशत युवा अपने देश को सशक्त प्रजातंत्र मानते हैं। टीवी चैनल, चैनल 4 द्वारा कराए गए व्यापक सर्वेक्षण में यहाँ तक तो प्रजातंत्र का बेहतर भविष्य नजर आता है, पर आधे से अधिक युवा, यानि 52 प्रतिशत, एक ऐसा सशक्त नेता चाहते हैं जिसपर चुनावों और संसद की बाध्यता नहीं हो। पारंपरिक दृष्टि में युवाओं का रुझान निरंकुश सत्ता में है, पर उनकी नजर में यही प्रजातंत्र का स्वरूप है। युवाओं के प्रजातंत्र की परिभाषा यहीं समाप्त नहीं होती – 33 प्रतिशत युवा तो सत्ता में सेना को देखना चाहते हैं। कुल 47 प्रतिशत युवाओं के अनुसार समाज और व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत है और विद्रोह ही इसका एकमात्र विकल्प है।

युवाओं के विचार लैंगिक समानता के संदर्भ में भी तेजी से बदल रहे हैं। सर्वेक्षण में 45 प्रतिशत पुरुष प्रतिभागियों के अनुसार समाज में लैंगिक समानता का पाठ इस कदर पढ़ाया गया है कि अब लैंगिक समानता की जरूरत पुरुषों को है। 58 प्रतिशत प्रतिभागियों के लिए समाचारों के लिए मेनस्ट्रीम मीडिया से बेहतर सोशल मीडिया है और 42 प्रतिशत युवाओं के आदर्श सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स हैं, जिनमें से लगभग सभी कट्टरवादी दक्षिणपंथी विचारधारा के हैं।

फरवरी 2024 में प्यू रिसर्च सेंटर ने भारत समेत 24 देशों का एक सर्वेक्षण प्रकाशित किया था। इसके नतीजे वही बेहद चौंकाने वाले और प्रजातंत्र की बदलती परिभाषा का परिचय देने वाले थे। भारत में 79 प्रतिशत प्रतिभागी प्रजातंत्र को सत्ता का सबसे बेहतर विकल्प मानते हैं, और 72 प्रतिशत प्रजातंत्र के मोदी-स्वरूप से संतुष्ट हैं। यही अपने आप में त्रासदी है कि मोदी-स्वरूप प्रजातंत्र को भी प्रजा प्रजातंत्र मान रही है। भारत के करीब दो-तिहाई लोग निरंकुश तानाशाही और सेना के सत्ता चलाने के भी समर्थक हैं। तानाशाही और सेना के सत्ता चलाने के संदर्भ में सर्वेक्षण में शामिल 24 देशों में सबसे अधिक समर्थन भारत में ही था। कुल 67 प्रतिशत जनता एक ताकतवर नेता चाहती है जिसपर न्यायपालिका और विधायिका का कोई अंकुश नहीं हो। आश्चर्य यह है कि जनता निरंकुश सत्ता को भी प्रजातंत्र ही मानती है। वर्ष 2017 में कराए गए सर्वेक्षण में 55 प्रतिशत लोगों ने निरंकुश सत्ता का समर्थन किया था। जाहिर है प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में बने रहने से निरंकुश सत्ता का समर्थन बढ़ता जा रहा है।

युवाओं के बीच प्रजातंत्र की परिभाषा बदल रही है – उनके प्रजातंत्र और निरंकुश सत्ता के बीच का अंतर तेजी से मिट रहा है। वर्ष 2023 में ओपन सोसाइटी बैरोमीटर नामक संस्था ने एक अंतराष्ट्रीय सर्वेक्षण किया था, जिसमें भारत समेत 30 देशों के प्रतिभागी शामिल किए गए थे। इन देशों की सम्मिलित आबादी 5.5 अरब है, और ये देश सभी महाद्वीप और आयवर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस सर्वेक्षण में कुल 86 प्रतिशत प्रतिभागियों ने प्रजातंत्र को शासन की सबसे अच्छी व्यवस्था और 72 प्रतिशत प्रतिभागियों ने मानवाधिकारों का समर्थन करते हुए इसे प्रजातंत्र के लिए आवश्यक बताया था। पर, इस सर्वेक्षण में भी 18 से 35 वर्ष के बीच के महज 57 प्रतिशत प्रतिभागियों ने प्रजातंत्र का समर्थन किया था।

साइंस नामक जर्नल के अक्टूबर 2024 अंक में युवाओं के बीच प्रजातंत्र की लोकप्रियता से संबंधित अंतरराष्ट्रीय अध्ययन प्रकाशित हुआ था। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और एमॉरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में 6 देशों – अमेरिका, इटली, मिस्र, भारत, थाईलैंड और जापान – के प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इस अध्ययन के अनुसार लगभग सभी प्रतिभागी प्रजातंत्र में रहना चाहते थे और प्रजातंत्र के लिए स्वतंत्र मतदान और नागरिक स्वतंत्रता को आवश्यक मानते हैं। प्रतिभागियों के अनुसार लैंगिक और आर्थिक समानता भी प्रजातंत्र को मजबूत करती है। अधिकतर प्रतिभागियों ने संवैधानिक संस्थाओं और न्यायपालिका की आजादी को भी प्रजातंत्र के लिए आवश्यक बताया। इस अध्ययन के अनुसार कहीं भी युवाओं के बीच प्रजातंत्र के बदलते स्वरूप के प्रमाण नहीं मिले।

प्रजातंत्र से संबंधित अनेक अध्ययन किए जा रहे हैं और इनके नतीजे भी अलग-अलग आ रहे हैं। इन सबसे परे, धरातल पर पूरी दुनिया में प्रजातंत्र लगातार पिछड़ता जा रहा है और निरंकुश सत्ता का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। जीवंत प्रजातंत्र के गढ़ रहे यूरोपीय देशों में भी प्रजातंत्र पर खतरे बढ़ते जा रहे हैं। सोशल मीडिया को समाचारों का मुख्य स्त्रोत मान चुके युवा प्रजातंत्र के राष्ट्रवादी कट्टर दक्षिणपंथी स्वरूप को ही जीवंत प्रजातंत्र मान बैठे हैं और ऐसा ही प्रजातंत्र इस दौर में दुनिया पर काबिज है।

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.