एक बार फिर आईआईटी कानपुर में एक पीएचडी स्कॉलर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्रों ने तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। आईआईटी प्रशासन के अधिकारी और पुलिस अधिकारी जांच के लिए मौके पर पहुंचे। जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। परिवार को आत्महत्या के बारे में सूचित कर दिया गया है। मौत की खबर मिलते ही परिवार में मातम का माहौल छा गया। परिवार के सदस्य शव लेने के लिए कानपुर रवाना हो गए।
नोएडा के सेक्टर 71 स्थित जागृति अपार्टमेंट में रहने वाले रामसूरत यादव का बेटा अंकित यादव (24) आईआईटी कानपुर से केमिस्ट्री में पीएचडी कर रहा था। वह पीएचडी के प्रथम वर्ष में थे। आईआईटी सुरक्षा अधिकारी को शाम पांच बजे सूचना मिली कि आईआईटी परिसर स्थित हॉस्टल एच-103 में एक छात्र का शव लटका हुआ है।
काफी समय तक छात्र ने न तो फोन का जवाब दिया और न ही दरवाजा खटखटाया। मामले की जानकारी मिलते ही कल्याणपुर थाना पुलिस और आईआईटी प्रशासन ने दरवाजा तोड़कर अंदर जाकर देखा तो शव छत से लटका हुआ था। एडीसीपी विजेंद्र द्विवेदी ने बताया कि छात्रा के पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है, लेकिन छात्रा ने इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की जांच कर रही है।
आपको बता दें कि इससे पहले भी आईआईटी कानपुर में कई छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
झारखंड के दुमका की रहने वाली प्रियंका जायसवाल ने 29 दिसंबर को आत्महत्या कर ली। वह केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रही थी।
आईआईटी कानपुर में ओडिशा की एक संकाय सदस्य पल्लवी चिल्का ने भी आत्महत्या कर ली।
जनवरी 2024 में पीएचडी छात्र विकास मीना ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
2022 में वाराणसी के पीएचडी छात्र प्रशांत सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
2021 में संस्थान के सहायक रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
2020 में आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रमोद सुब्रमण्यम ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
2019 में सुरक्षा गार्ड आलोक श्रीवास्तव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
2018 में फिरोजाबाद के पीएचडी छात्र भीम सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।