सीतापुर, 12 फ़रवरी . दुष्कर्म के आरोप में सीतापुर जेल में बंद कांग्रेस सांसद के मामले में पीड़िता को धमकाने का नया घटनाक्रम सामने आने के बाद सांसद राकेश राठौर की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. सीतापुर कोर्ट से जमानत खारिज हो जाने के बाद हाईकोर्ट में कोशिशें को झटका लग सकता है.
मंगलवार की देर रात रेप पीड़िता के पति की ओर से सांसद की करीबी एक महिला पर मुकदमे में सुलह-समझौता करने की धमकी व दवाब डालने का पत्र सार्वजनिक होते ही इस मामले में अब सांसद की मुश्किलें बढ़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. पीड़िता के पति की ओर से प्रमुख गृह सचिव के नाम दिए प्रार्थना पत्र में यह आरोप लगाया गया है कि पिछले दिनों जिला जेल में बंद सांसद राकेश राठौर से मुलाकात करने वाली रेशमा खातून नाम की एक महिला उनके घर आई उसके द्वारा इस प्रकरण में सुलह समझौते करने का दवाब बनाया गया. उसने घर आकर पीड़िता से कहा कि इस मामले में अब समझौता कर लो वरना उन्नाव रेप पीड़िता वाले हालात बन जाएंगे. पीड़िता के पति की ओर से लिखे गए इस प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री,राज्यपाल, पुलिस महानिदेशक लखनऊ, अतिरिक्त महानिदेशक, जिला अधिकारी सीतापुर एवं पुलिस अधीक्षक को भी भेजी गई है. बताया जा रहा है कि पीड़िता के पति की ओर से इस पूरे घटनाक्रम का अपने घर पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी सीतापुर पुलिस को सौंप दिया गया है.
फुटेज में भी यह साफ तौर पर देखा जा रहा है कि एक महिला, स्कूटी से उनके घर के सामने आकर स्कूटी खड़ी कर घर के अंदर जाते हुए दिखाई दे रही है. थोड़ी देर बाद वह जीने से उतरकर बाहर स्कूटी स्टार्ट करके चली जाती है . वहीं इस मामले में जिस रेशमा नाम की महिला के खिलाफ प्रार्थना पत्र पीड़ित पक्ष की ओर से दिया गया है. उसके बारे में बताया जा रहा है कि वह पीड़िता के घर जाने से पहले सीतापुर जेल में सांसद राकेश राठौर से भी मिलने गई थी. प्रार्थना पत्र में यह दावा किया गया है कि 5 फरवरी की दोपहर 2:30 बजे के करीब रेशमा खातून नाम की महिला को सांसद राकेश राठौर ने जेल से धमकी देने के लिए उनके घर भेजा,उसने सांसद के इशारे पर पीड़िता और उसके पति को जान से मारने की धमकी दी और कहा कि सांसद का यह संदेश है कि अगर सुलह समझौता नहीं करोगी तो तुम्हारा हाल उन्नाव रेप पीड़िता जैसा होगा. रेप पीड़िता के पति ने अधिकारियों से इस प्रकरण को संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करने की मांग की है
इस मामले में सीतापुर कोतवाल अनूप शुक्ला ने से बताया कि प्रार्थना पत्र की जानकारी हुई है उसकी गंभीरता से जांच की जा रही है.
सीतापुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय अवस्थी ने बताया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ऐसे गंभीर मामलों में जमानत के लिए मुश्किलें हमेशा रहती हैं. जमानत देते समय न्यायालय यह देखता है कि गवाह सुरक्षित रहे, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप पीड़ित पक्ष के ऊपर कोई दवाब ना डाला जाए तभी न्यायालय जमानत प्रदान करती है. यहां पर आरोपी द्वारा अगर हाईकोर्ट में जमानत लेने से पहले ही ऐसी शर्तों का उल्लंघन किया गया जा रहा है तो ऐसे में हाई कोर्ट से भी जमानत मिलने की संभावना है शून्य हो सकती हैं.
वहीं सीतापुर के शासकीय अधिवक्ता (अपराध) प्रशांत शुक्ला ने बताया कि हाईकोर्ट इस आधार पर जमानत को खारिज कर सकता है, न्यायालय की यह शर्त होती है की जमानत देने पर प्रार्थी साक्ष्य को प्रभावित नहीं करेगा, पीड़ित पक्ष पर कोई दबाव नहीं डालेगा. साक्ष्यों को प्रभावित करने की घटनाओं ऐसे मामलों में जमानत मिलना टेढ़ी खीर हो जाता है.
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/ Mahesh Sharma