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aapkarajasthan February 13, 2025 09:42 PM

अलवर न्यूज़ डेस्क - अलवर में 2 साल पहले मिली लावारिस बच्ची की ब्रेन टीबी से मौत हो गई थी। 10 फरवरी की शाम को बच्ची की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेफर कर दिया गया था। लेकिन अगले दिन 11 फरवरी की सुबह 6 बजे तक उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा सका, जिससे उसकी मौत हो गई। मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिस बच्ची का 2 साल तक पता नहीं चल सका, उसकी मौत के महज 48 घंटे के अंदर ही उसके परिजनों को ढूंढने में पुलिस सफल रही। मृतका की पहचान प्रियंका (12 साल) पुत्री कालीचरण के रूप में हुई है, जो हरियाणा के पलवल जिले के हथीन उदीथल गांव की रहने वाली थी। बाल अधिकार विभाग का कहना है कि उन्हें इस घटना की जानकारी बच्ची की मौत के बाद ही मिली। वहीं आरती बालिका गृह की संचालिका ने बताया कि कोरोना काल से उन्हें अनुदान नहीं मिला है, जिसके चलते वे बच्ची को जयपुर नहीं ले जा सके।

मेडिकल जांच में ब्रेन टीबी का पता चला
आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने बताया- प्रियंका 2 साल पहले अलवर शहर में मिली थी। उसके साथ कोई परिजन नहीं था और न ही उसका कोई सामान था। तब से वह बालिका गृह में रह रही थी। 29 जनवरी 2025 को उसकी तबीयत खराब होने पर उसे सैटेलाइट अस्पताल कालाकुआं ले जाया गया।अगले दिन 30 जनवरी को जांच कराई गई। उसी रात बालिका की तबीयत खराब हो गई। उसे शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया। एमआरआई कराने पर पता चला कि उसे ब्रेन टीबी है। 5 दिन तक आईसीयू में रखने के बाद उसकी तबीयत में कुछ सुधार हुआ। इसके बाद उसे जनरल वार्ड में भर्ती कराया गया। 5 दिन बाद जब उसकी तबीयत फिर से खराब हुई तो उसे आईसीयू में ले जाया गया।

बालिका गृह संचालक बोले- नहीं मिला अनुदान
आरती बालिका गृह के संचालक चेतराम सैनी ने कहा- बालिका की तबीयत खराब होने पर उसे शिशु अस्पताल से वापस जिला अस्पताल वेंटिलेटर पर ले जाया गया। अलवर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने बालिका को 10 फरवरी की शाम को जयपुर रेफर कर दिया था। बाल अधिकार विभाग के सहायक निदेशक रविकांत को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन उसे जयपुर ले जाने की व्यवस्था नहीं की गई।

सीडब्ल्यूसी चेयरमैन बोले- जयपुर रेफर करने की जानकारी मिली
सीडब्ल्यूसी चेयरमैन राजेश शर्मा ने कहा- 10 फरवरी को जयपुर रेफर करने की जानकारी मिली। हमने तुरंत विभाग के सहायक निदेशक को सूचना दी। आगे के इलाज की जिम्मेदारी विभाग की थी। बालिका के परिजनों को न ढूंढ़ने में भी विभाग ने लापरवाही बरती है। अब बालिका की मौत के बाद पुलिस परिजनों को लेकर आई।

विभाग के सहायक निदेशक बोले- कोई जानकारी नहीं मिली
बाल अधिकार विभाग के सहायक निदेशक रविकांत कहते हैं- उन्हें मामले की जानकारी नहीं दी गई। न तो कोई मेल आया और न ही किसी अन्य तरीके से जानकारी दी गई। बालिका की मौत के बाद बताया गया। जबकि आरती बालिका गृह को इलाज के लिए जयपुर ले जाना चाहिए था।

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