महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के प्रमुख शरद पवार ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को सम्मानित किया। इस घटना के बाद महा विकास आघाड़ी (MVA) में अंदरूनी मतभेद और गहरे हो गए।
इस बीच, शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया और निर्वाचन आयोग पर लगे आरोपों को लेकर चर्चा की। इसके अलावा, गुरुवार को आदित्य ठाकरे ने आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की।
शरद पवार के फैसले पर विवाद क्यों?शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को पुणे स्थित एनजीओ ‘सरहद’ द्वारा स्थापित ‘महादजी शिंदे राष्ट्र गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया।
यह सम्मान विवादास्पद इसलिए बन गया क्योंकि एकनाथ शिंदे ने 2022 में शिवसेना में बगावत कर उद्धव ठाकरे की सरकार गिराई थी। बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने शिवसेना पर भी नियंत्रण हासिल कर लिया।
एमवीए गठबंधन में शामिल पार्टियां—शिवसेना (UBT), कांग्रेस और NCP-SP—इस फैसले से नाराज दिख रही हैं। उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे को ‘गद्दार’ करार दिया था, ऐसे में शरद पवार का उन्हें सम्मानित करना गठबंधन में अविश्वास की स्थिति पैदा कर रहा है।
आदित्य ठाकरे की दिल्ली में राजनीतिक बैठकेंराहुल गांधी से मुलाकात:
अरविंद केजरीवाल से बातचीत:
“सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन रिश्ते बरकरार रहते हैं। हमारा लोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं है।”
विपक्षी INDIA गठबंधन के भविष्य पर मंथन:
ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, हरियाणा, ओडिशा और दिल्ली सहित कई राज्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं।
MVA के लिए आगे की राह कठिन“निर्वाचन आयोग ने लोगों से वोट देने का अधिकार छीन लिया है और इस मुद्दे पर चर्चा करने को भी तैयार नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष इसे औपचारिक रूप से उठाएगा क्योंकि निष्पक्ष चुनाव देश के लिए जरूरी हैं।
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन (BJP-शिवसेना-एनसीपी-अजित पवार गुट) मजबूत स्थिति में है।
2024 विधानसभा चुनावों में महायुति ने 288 में से 235 सीटें जीती थीं, जबकि MVA को सिर्फ 50 सीटें मिली थीं।
MVA को एकजुट रहकर 2024 लोकसभा चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन शरद पवार के ताजा फैसले से गठबंधन में मतभेद और बढ़ सकते हैं।
अब देखना होगा कि क्या विपक्ष इस राजनीतिक असमंजस से उबर पाता है या फिर MVA में नई फूट पड़ती है।