संतोष के मुताबिक, बचावकर्मियों और विशेषज्ञों की एक टीम मछली पकड़ने वाले जहाज पर सवार होकर सुरंग के अंतिम छोर तक पहुंचकर वहां से लौटने में कामयाब रही, लेकिन अंदर फंसे लोगों का पता नहीं लगाया जा सका। उन्होंने कहा कि शुरुआत में (दुर्घटनास्थल से) 40 मीटर पहले तक ही पहुंचा जा सकता था, क्योंकि वहां कीचड़ था, लेकिन अब यह अधिकतम सीमा तक जम गया है। इसलिए टीम दुर्घटनास्थल तक जा सकती है... हमारे पास एक खोजी कुत्ता है। हम उसे अंदर ले जाएंगे। खोजी कुत्ते की मदद से हम (फंसे हुए लोगों का) पता लगाने की कोशिश करेंगे। संतोष ने सुरंग में फंसे लोगों को बचाना प्रशासन की प्राथमिकता बताया। ALSO READ:
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को उम्मीद है कि ‘कन्वेयर बेल्ट’ आज काम करना शुरू कर देगी और आगे की खुदाई के लिए ‘टनल बोरिंग मशीन’ के आसपास थोड़ी जगह बनानी होगी। संतोष के अनुसार, मंगलवार रात दुर्घटनास्थल पर पहुंची टीम ने फंसे हुए लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। ALSO READ:
केंद्रीय मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी बचाव योजना पर अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। एसएलबीसी सुरंग के एक निर्माणाधीण खंड का हिस्सा 22 फरवरी को ढह जाने के बाद परियोजना पर काम करने वाले आठ कर्मी सुरंग में फंस गए। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala