कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट से पता चला कि आईफोन और लैपटॉप वन कोष से प्राप्त धन का उपयोग करके खरीदे गए थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में विभाग के बजट से आईफोन और लैपटॉप खरीदे गए।
इस रिपोर्ट में राज्य की हरेला योजना, टाइगर सफारी, वर्तमान अधिकारियों और वीआईपी के दौरों पर हुए खर्च का उल्लेख है। यह धनराशि राज्य सरकार के अदालती मामलों पर भी खर्च की गई। इसके अलावा, इन पैसों से आईफोन, लैपटॉप, रेफ्रिजरेटर, कूलर और स्टेशनरी खरीदी गई।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने उत्तराखंड के वन विभागों में प्रतिपूरक वनीकरण निधि के प्रबंधन में कई कमियों की ओर इशारा किया है। इसमें अस्वीकार्य गतिविधियों पर खर्च और केंद्र को वार्षिक परिचालन योजनाएं प्रस्तुत करने में देरी शामिल है।
इस तरह की देरी के कारण कई व्यक्तिगत मामलों में लागत बढ़ गई है। प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) पर नवीनतम सीएजी ऑडिट रिपोर्ट, जिसे हाल ही में उत्तराखंड विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान प्रस्तुत किया गया, से पता चला है कि प्रभागीय स्तर पर अस्वीकार्य गतिविधियों पर 13.86 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
बिना अनुमति के खर्च किया गया धन
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य प्राधिकारियों ने राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि के विचलन या अस्वीकार्य व्यय पर नियंत्रण नहीं किया। बताया गया है कि यह धनराशि राज्य योजना हरेला, बाघ सफारी कार्य, मौजूदा भवनों के जीर्णोद्धार, व्यक्तियों के दौरे पर व्यय, कोर्ट केस, आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और स्टेशनरी की खरीद जैसी गतिविधियों पर खर्च की गई।
कैम्पा नियमों के अनुसार, औद्योगिक विकास जैसी गैर-वनीय गतिविधियों के लिए वन भूमि के आवंटन के मामले में, तद्नुरूप प्रतिपूरक वनरोपण अनिवार्य है। इसमें कहा गया है कि 52 मामलों में 188.62 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ता एजेंसियों को सौंप दिया गया, जहां सैद्धांतिक मंजूरी तो दे दी गई, लेकिन सक्षम प्राधिकारी द्वारा काम शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई।